आप बीती - 3 - हिंदी भय कथा - HINDI HORROR STORY

                     आप बीती - 3 - हिंदी भय कथा - HINDI HORROR STORY 


HINDI KAHANIYA
 HORROR STORIES 

                                                  लेखक : योगेश वसंत बोरसे. 

         गाड़ी चल रही थी। योगेश का ध्यान  सामने था। सुरेश लगता है कोई सामने खड़ा है !हमे रुकने के लिये बोल रहा है।  "भैया आप ध्यान मत दो। " सुरेश  ने  स्पीड बढ़ा दी। "सुरेश रुक जा। कोई भला आदमी होगा,जो रात के वक़्त यहाँ खड़ा है फस गया है।" " भैया आप आँखे बंद कर लो। " "सुरेश तू पागल है क्या ?रुक जा !"

     लेकिन सुरेश रुका नहीं ,तो, वो जो कोई भी था कार के सामने आ गया !इस बार सुरेश पुरे स्पीड में था ,धड़ाम की आवाज के साथ कार आगे बढ़ गई।

       योगेश का खून खौल गया। ''सुरेश रुक ! मैंने कहा रुक जा !" सुरेश को मजबूरन रुकना पड़ा। "कुछ अकल है के नहीं ,अगर तुम्हे उसे नहीं बिठाना था ,तो न सही !लेकिन कोई ऐसे गाड़ी से उडाता है क्या ?तुम्हे कोई  ऐसे करेगा तो ? तुम्हे कैसे लगेगा ?"  " बहोत दर्द हुआ था भैया !" "क्या ?" "कुछ नहीं ?" "भाभीजी  जरा भैया को समझाइये। यह सिर्फ छलावा है ,और कुछ नहीं। " "तो फिर इतनी जोर से आवाज क्यों आई ?" 

     सुरेश परेशान हो गया। " ठीक है ,भैया ,अगर आपको लगता है तो आप एक बार गाड़ी से उतरकर चेक कर  लीजिये। गाड़ी को भी और रस्ते को भी ,कोई मिलता है क्या ? " विद्या को ये बात हजम नहीं हुई। कोई जरुरत नहीं है ,सुनोजी आप पीछे आ जाओ। भैया बराबर लेकर जायेंगे , उन्हें डिस्टर्ब मत करो !" "मै डिस्टर्ब कर रहा हूँ ? इस नालायक ने एक आदमी को उडा  दिया ,और मै डिस्टर्ब कर रहा हूँ ?"

     सुरेश ने गाड़ी रोक दी। वह निचे उतरा। योगेश की ओर आया। उधर का दरवाजा खोला।" भैया ,देख लो तसल्ली कर लो !"  "अरे क्या पागल समझ के रखा है क्या ? यहाँ क्या मिलेगा ? हम तो बहोत आगे आ गए ! "

     "तो आप क्या चाहते है ?मैं गाड़ी वापस घुमालू ? शायद मैंने गलती कर दी ,जो आपके लिए आया !" "क्या ?" "कुछ नहीं ?" "तो तू एहसान जता रहा है ,ठीक है ! विद्या, निचे उतरो ! " "क्या ?" "विद्या मैंने कहा निचे उतरो ! हम इसके साथ नहीं जायेंगे ! और तू क्या बोल रहा था ? हमे लेने के लिए आया ?" सुरेश हड़बड़ा गया। 

    भैया मेरा वो मतलब नहीं था ! मै तो आपसे ये कह रहा था की आप दूसरी गाड़ी में आते जहा और लोग भी होते ,तो आप को पता भी नहीं चलता की क्या हुआ ?और आप शायद आराम से पोहोच जाते !" "ये शायद का क्या मतलब ! क्या हम पोहोचने वाले है या नहीं ?" "क्या भैया आप भी।बाल की खाल निकालते है ?

      मैं तो ये कह रहा हूँ , की आप सामने की सीट पर बैठे है , इसलिए आपको ध्यान आ रहा है। ये रास्ता खतरनाक है !" "हाँ !..... ऐसा ही कुछ वो गाड़ी वाला भी कह रहा था ,के रास्ता खतरनाक है !हम तीन चार गाड़ियां साथ में ले कर चलते है !"

     विद्या ने बीच में  ही कहा , "लेकिन ,प्रॉब्लम क्या है ? ये तो बताओ। भैया आप अभी गाड़ी निकालिये यहाँ रुकना ठीक नहीं है !" सुरेश कार में बैठा ,और कार हवासे बाते करते करते आगे बढ़ी। योगेश फिर बोला ,"जरा धीरे चलो नहीं तो वापस किसीको ठोक दोगे !" "क्या भैया आप भी मजाक करते हो ?" "मै  मजाक नहीं कर रहा हूँ ,आराम से चलाओ और क्या बात है वो बताओ।" " जाने दो भैया, बताने जैसा कुछ है नहीं !"

     तभी विद्या बोली ,"सुरेश भैया बात को टालिए मत आपको मेरी कसम है !" ..... ... सुरेश उलझन में पड गया ,उसने हिचकिचाते हुए बात शुरू की ,"तो सुनिए ,उस गांव के पास एक भयानक एक्सीडेंट हुआ था। काफी लोग मर गए थे ! बस और टैंकर टकरा गए थे टैंकर में जो विस्फोटक केमिकल था ,टकराने से ब्लास्ट हो गया ! और उसकी चपेट में जितने आये ,सब जल गए ! इतने जल गए के जलाने के लिए भी कुछ बचा नहीं। बहोत सारी  गाड़िया भी जल गयी। 

  "  इंसान जल गए ,उनके सपने ,इच्छाएं ,आकांक्षाएं ,सब जल गए !जिम्मेदारियां बाकि रह गयी ,जो कुछ हुआ इसमें हमारा क्या दोष ?ये सवाल साथ में लेकर जो मर गए ,उनकी आत्माए भटकने लगी ,जवाब ढूंढ़ने के लिए ......लेकिन जवाब कौन देता ?जवाब कहां से मिलता ? वही जवाब ढूंढने के लिए आत्माए गाड़ियों के पीछे भागती  है , गाड़ियों को हाथ देती है ! गाड़ियों के ऊपर चढ़ती है ,कूदती है ,अलग अलग आवाजे निकलती है ! कुछ उन्हें देख कर डर  जाते है , और वही दम तोड़ देते है! लेकिन कुछ अच्छी आत्माए भी है ,जिन्हे लोगो की मदद करने से सुकून मिलता है !वो मदद करती है ! और देखते ही देखते उनका दायरा बढ़ने लगा ,बढ़ रहा है !पहले गांव के पास दिखने वाली आत्माए अब यहाँ तक दिखाई देने लगी है। और शायद इस के आगे भी !" 

    योगेश और विद्या सुनकर हैरान थे ! किताबो की दुनिया में खोने वाला योगेश इस सच्चाई से बिलकुल अनजान था। उसे अभी भी यकीं नहीं हो रहा था ,की ऐसा हुआ होगा। लेकिन कोई इतना झूठ क्यों बोलेगा ?" लेकिन ये सब तुम्हे कैसे पता ? तुम तो यहाँ नहीं रहते ?"क्योंकि उस दिन जब एक्सीडेंट हुआ ,मै वही पर था। " योगेश और विद्या सोच में पड़ गए , उन्हें सुरेश की बात ध्यान में नहीं आई ! सुरेश ने बारी बारी दोनों की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया।

   " क्या हुआ ?" "कुछ नहीं !" और कितना वक़्त लगेगा ? क्या टाइम हुआ पता नहीं ?लेकिन और आधा घंटा कमसे कम लगेगा। " लेकिन कुछ ही दुरी पर एक ढाबा है ,वहा पर आप चाय पि लीजिये ,फ्रेश हो जाइये। " "तुम नहीं आओगे ? " " नहीं मै थोड़ा सो जाता हूँ !" "ठीक है। "            और... कुछ ही पल में ढाबा आ गया। योगेश और विद्या कार से निचे उतर गए ,और ढाबे की और बढे। योगेश धीरे से बोला ,"अच्छा हुआ सुरेश को कुछ नहीं हुआ !" विद्या सहम ते हुए बोली ,"कितना भयानक मंजर होगा !मेरी तो रूह काँप उठी ! भैया ने कैसे सहन किया क्या पता ?सुनकर भी डर लग रहा है !"

     दोनों ढाबे की और बढे। वहा  के लोग उन्हें अलग ही नजर से देखने लगे। दोनों की नजरे मिली। दोनों की नजरो में सवाल था की ये हमे ऐसे क्यों घूर रहे है ?  

     "भाईसाब पानी मिलेगा ?" योगेश ने पुछा । सामने वाले ने पानी का जग उसकी ओर बढ़ा दिया। "सुनिए जी !" विद्या ने धीरे से कहा ,"बाथरूम जाना है !" योगेश इधर उधर देखने लगा ,उसने एक ओर इशारा किया ,"देखो वहा है,वहा पर चली जाओ।  लेकिन विद्या नहीं गयी। योगेश समझ गया ये कतरा रही है। "अच्छा ठीक है,चलो !"  योगेश उसे वहा तक छोड़ आया।       

     और कुछ ही पल में उसे विद्या की चीख सुनाई दी। योगेश घबरा गया ,वो उस ओर भागा। बाकि लोग भी भागे ,योगेश ने बाहर से ही आवाज दी। "विद्या क्या हुआ ?" विद्या चीखती चिल्लाती बाहर भागती हुई आई। और योगेश को देखकर उससे लिपट गयी।  योगेश उसे थपथपाते हुए बोला ,"विद्या क्या हुआ ? विद्या...... क्या हुआ ?वहाँपर एक औरत है !" "तुम भी कैसी बाते करती हो  विद्या ?लेडीज टॉयलेट में औरत नहीं रहेगी तो और कौन रहेगा ?

     विद्या चुप हो गयी। सिट्टी -पिट्टी गुम ! दोनों ढाबे के पास पोहोचे और वहा  पड़ी खटिया पर बैठ गए। विद्या अभी भी उसे चिपककर बैठी थी। "विद्या उधर सरक जाओ ,लोग हमें घूर रहे है। " लेकिन विद्या का ध्यान नहीं था। वो उसकी दुनिया में खोई हुई थी। कुछ बड़बड़ा रही थी। 

     विद्या ..... उधर सरक जाओ ! लोग हमें देख रहे है ! "भाईसाब कहाँसे आये हो ?" योगेश ने गांव का नाम बताया।"कौनसी गाडीसे ?" "भाई की कार से ! उसके साथ ही आ रहे है। " "तो भाई कहा है ?" "हेलो ,पुलिस में हो क्या ?इतना दिमाग क्यों ख़राब कर रहे हो ? जाओ ,अपना काम करो !"

      " मैंने पुछा ,कौनसी गाड़ी से आये हो ?"योगेश का दिमाग घूम गया ,उसने उस व्यक्ति का हाथ पकड़ा ,और खींचता हुआ रास्ते की ओर जाने लगा। "हाथ छोड़ो... मैंने कहा हाथ छोड़ो। " "क्यों ,बहोत शौक है न ,जासूसी करने का !गाड़ी देखनी है न ! ये देखो !" "कहा है ?" "अरे.....  ,अजीब आदमी हो ! सामने खड़ी गाड़ी नहीं दिख रही है ?" 

    वह आदमी अजीब तरीके से उसे घूरने लगा। तब तक और चार पांच लोग भी वहा आ गए। योगेश को लगा ,कुछ गड़बड़ है ,उसने सुरेश को आवाज दी। तब तक विद्या भी वह आ गयी। "सुरेश देखना ,ये लोग हमें परेशान कर रहे है !" तभी उसे लोगो के ठहाके सुनाई दिए।  योगेश को समझ में नहीं आ रहा था ,के ये इतना क्यों हस रहे है ? 'भाभी जी , किस पागल से शादी कर  ली ?' "तुम लोग जाओ यहाँसे ! क्यों हमें परेशान कर रहे हो ?" 'भाभी जी क्या आप की भी हट गयी है ?' 'यहाँ न कोई गाड़ी है ,न कोई ड्राइवर !तो ये किससे बात कर रहे है ?' "क्या बकवास कर रहे हो ? ये क्या गाड़ी है ? मेरा देवर है ,थक गया है ,इसलिए आराम कर रहा  है ! सुरेश देखो न ! ये   लोग हमे परेशान कर रहे है !"

      योगेश के दिमाग में अलग ही बात आई। कही ये कार चुराना तो नहीं चाहते ? "विद्या मुझे लग रहा है ये हमें पागल बनाकर कार चुराना चाहते है ! "अरे कौनसी कार ?" वो लोग वापस हसने लगे , "जो है ही नहीं वो चुरायेंगे कैसे ?" एकने हसते हुए कहा ,"अच्छा  कार ले जाइये ,हमे नहीं चाहिए !और वो लोग वहासे हसते हुए चले गए। ' दोनों मिया बीबी पागल है ,पैदल आए होंगे घूमते घूमते ,और कार कार कर रहे है !वो आदमी तो शकल से ही पागल  लगता है ,और वो औरत भी औरत को देखकर डर गयी !' 

   योगेश की बत्ती जली। "विद्या ये औरत का क्या चक्कर है ?" "क्या आपको भी लगता है मै पागल हूँ ?" "क्या तुम्हे लगता है मै पागल हूँ ?" "नही जी मैंने ऐसा कब कहा ?" "लेकिन ये लोग तो हम दोनों को पागल समझ रहे है ! तुमने बताया नहीं वो औरत का क्या चक्कर है ?" "वहा एक औरत थी," " अरे आगे बोलो, कितना सस्पेंस क्रिएट करती हो ? " " उसका सर अलग था और धड़ अलग था। " " क्या ? तो किसी ने उसे मार दिया होगा। "

    " नहीं वो तो जोर जोर से हंस रही थी। वहा नाच रही थी। " " क्या बकती हो विद्या ऐसा कभी होता है ? " " नहीं जी, नहीं होता इसलिए तो चिल्लाई थी। वरना मै क्यू डरती ? "

   " भैया, भाभी चलो। कितनी देर रुकोगे ? " सुरेश की आवाज से वो चौक गए। ये कहा गया ? उन्होंने आवाज की ओर देखा। ये वहा कब गया ? इतनी देर तो गाडी यही थी। " भैया चलो। " योगेश और विद्याने एक दूसरे की तरफ देखा और गाड़ी की ओर बढे। 

   चाय के चक्कर में फ़ालतू ड्रामा क्रिएट हो गया था और चाय भी रह गई थी। लेकिन दोनों की इच्छा मर गई थी, चाय पिने की। "भैया जल्दी बैठो अब ज्यादा वक़्त नहीं बचा है। " दोनों को उसकी बात का मतलब समझ में नहीं आया। 

  दोनों कार मै बैठ गए। अपने ही विचार में खोए थे। लोग उन्हें पागल क्यूँ  कह रहे थे समझ नहीं आ रहा था। कुछ ही देर में मौसी का गांव आ गया। " भैया आप लोग यहाँ उतरिए मै ज़रा गाडी का काम करके आता हूँ। " "क्या ? अरे पहले मौसी के यहाँ जाते है। बाद में मरम्मत करा लेना। वैसे भी इतनी सुबह कौन सा गैरेज खुलने वाला है ? " " भैया जिद मत करो। जल्दी जाओ मुझे टाइम हो रहा है। "

  योगेश और विद्या वहाँ  उतर गए। और गाडी हवासे बाते  करते हुए गायब हो गई। दोनों चलते चलते मौसी के घर पहुंचे। वहा का माहौल  अलग  ही था। सब उनकी ही  राह देख रहे थे। उनके आते ही अन्तयात्रा की तैयारी शुरू हो गई। कुछ ही देर में अन्तयात्रा निकली। सबसे आगे योगेश ही था। और उसके दिमाग में एक ही सवाल था। सुरेश यहाँ क्यों नहीं आया ? ...... ..... ......  .... .... 

                                                                                                                                    TO BE  CONTINUED..... 


                                   लेखक: योगेश वसंत बोरसे. 


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