अजनबी पुकार - hindi kavita | hindi poem

                                               अजनबी पुकार  - Hindi kavita  


hindi kawita
 हिंदी कविता 

-: अजनबी पुकार :- 



मुझे देखकर कोई पुकारे जा रहा था 
दया की भीख मांगता वो चिल्लाये जा रहा था 
जाने का मन नहीं था बिलकुल भी आज 
फिर भी आगे बढ़ा जा रहा था 
समां भी मुझे आज न जाने की सलाह दे रहा था
चिल्लाया वो फिर से ,पुकारा उसने जोर से 
सोचा देख लू, कुछ काम हो उसको मुझसे 
कहने लगी मुझसे ये दौड़ती हवा ,आज रुका तो घमासान हो जायेगा 
इसलिए आज नहीं तू पग बढ़ा 
कहने लगे ये पेड़ मुझसे ,आज नहीं तू खुद को आगे बढ़ा 
वो उधर ही है खड़ा ,तू रुक मत तू पैर  बढ़ा 
आज रुका तो शायद नहीं होगा फिर से मिलना 
कह रहे थे ये पंछी मुझसे रुक मत तू कदम बढ़ा 
ये हवा ये पंछी सब हाथ जोड़े रो रहे थे 
उनकी बाते सुनकर जवाब भी सवालो में खो रहे थे
सवाल तो कई सारे थे की वो कौन होगा 
कोई पहचानका ही होगा  नहीं तो चिल्लाकर आवाज थोड़ी देगा 
करते ही जा रहा था वो मुझसे दरकार हजार बार 
चिल्लाते और पुकारे जा रहा था बार बार 
कर रहा था वो मिन्नतें मुझसे एक नहीं कई बार 
एक बार बस एक बार तो मिल ले यार 
अभी उसकी आवाज सुनकर मै ठहर सा गया 
देखा पीछे मुड़कर और सिहर सा गया 
देखा मैंने एक बार फिरसे रुक के पलट  के उसकी ओर, 
वो काफी थका थका सा लग रहा था ,खुद के ही सवालो में उलझा उलझा लग रहा था 
लोगो की बेवफाई से शायद चिड चिड़ाया सा लग रहा था ,अपने आप से खफा खफा सा लग रहा था 
खुद के सवालो पर डगमगाया लग रहा था ,उसके आसुओने भी उसे भिगोया सा लग रहा था 
इंसानियत से शायद डरा डरा सा लग रहा था 
फिर भी उसे देखकर कुछ और भी लग रहा था , वो पहली नजर में ही बड़ा योद्धा लग रहा था 
सब कुछ होकर भी टुटा टुटा लग रहा था ,खुद के ही सवालोंसे परेशां लग रहा था 
उसकी नजर अब मुझे उलझाने लगी
उसकी रूह भी शायद मुझे बुलाने लगी 
मै डर डर के दब दब  के  उसकी ओर बढ़ने लगा 
उसका डरावना रूप मुझे घायल करने लगा 
पास जाकर रुका और देखा उसकी ओर तो रोंगटे खड़े हो गये
लगा ऐसे की मेरे आधे किस्से जन्नत में  पोहोच गए 
उसकी ऐसी हालत देख आँख  ने भी आसु  निकाल दिया 
एक पल का भी इंतजार न हुआ मैंने उसे गले लगा लिया 
बिठाया मैंने उसको पूछा उसके बारे में 
बताने लगा वो मुझे दुनियादारी के बारे  में 
उसकी बाते  सुनकर मै  सिहर ने लगा  था 
मेरा भी खून अब खौलने लगा था 
लहरों के भाती लहू उछलने लगा था 
खुद की ही आग में  मै जलने लगा था 
बहुत देर तक मुझे वो कुछ समझाए जा रहा था 
 मै भी उसकी बाते बहोत ध्यान से सुने जा रहा था 
आज हुआ भी बहोत कुछ था या शायद आगे होनेवाला था 
इसलिए वो मुझसे मिलने आया था 
 भगवान ने भी आज चक्कर ऐसा चलाया था 
की प्यासे के पास खुद समंदर  चल के आया था 
मुझको ही मुझसे बदलने आया था 
बहोत अरसे बाद  मुझसे मिलने मेरा दिल आया था
 बहोत अरसे बाद मुझसे मिलने मेरा दील आया था 

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