Camera - Hindi Horror Story | Hindi bhaykatha
HINDI HORROR STORIES |
CAMERA
लेखक : योगेश वसंत बोरसे.
लिखते लिखते सायलीने पेन निचे रखा। पूरा बदन टूट रहा था। उंगलिया अकड़ गई थी। बैठ बैठ कर शरीर अकड़ गया था। वो उठकर खड़ी हुई। हाथ पाँव खींच दिए, अंगड़ाई ली। बहोत हसीन दिख रही थी। उसका ध्यान सामने के आईने पर था। ' सायली तुम्हे इतना खूबसूरत दिखने का क्या अधिकार है ? ' हालांकी ज्यादा रौशनी नहीं थी। लेकिन जितनी थी उसमे वो अपने आप को जी भर के देख रही थी।
उसने लाईट लगाया। टेबल लैंप बंद किया। नजर घडीपर गई, जो दिवार पर लटक रही थी। रात का देढ़ बज रहा था। ' मै इतनी देर तक लिख रही थी ?' उसके चेहेरेपर तसल्ली थी । जिस काम के लिए इतनी दूर आई थी, वो काम पूरा हुआ था। हिलस्टेशन पर आनेका फायदा और क्या ? उसने बालकनी का दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही ठंडी ठंडी हवाए बदन से टकराने लगी। और पुरे बदन में एक झुरझुरी दौड़ गई। रोंगटे खड़े हो गए।
मै तो भूल ही गयी , ये मुंबई नहीं है ! समंदर की हवा नहीं है !लेकिन उसे अच्छा लगा। एक होटल में उसने दो तीन दिन के लिए बुकिंग किया था। पूरा दिन हिल स्टेशन पर घूमी थी। शाम को रूम पर आकर लिखने के लिए बैठी थी। तो अभी तक लिख रही थी। न खाने की याद आई न पिने की !लेकिन अभी काम पूरा हुआ ,तो भूक सताने लगी। पेट में चूहे कूदने लगे।
इसलिए वापस रूम में आ गयी। दरवाजा बंद किया। इण्टरकॉम से खाने का आर्डर दिया ,और आरामकुर्सी पर फ़ैल गयी। खाने की राह देखते देखते नींद कब लग गयी ,पता भी नहीं चला। डोर बेल बजी तो चौक गयी 'अभी कौन आया होगा ?' उसने नींद में ही दरवाजा खोला। बाहर वेटर देखकर उसे खाने की याद आयी। खाना देखकर भूख जाग गयी । डिश सर्व करके वेटर चला गया। सायलीने दरवाजा बंद किया। और खाने के लिए बैठ गयी।
तब तक घडी दो बजे का समय दिखा रही थी। 'रात के दो बजे खाना ?'ये क्या खाने का टाइम है ? माँ कहती थी इस वक़्त शैतान खाता है '! उसे अपनी ही बात पर हसी आयी। और माँ की याद ने आंखोमे आसु लाये। आज अगर माँ होती तो ,मेरी तरक्की देखकर कितनी खुश होती। सिर्फ पांच साल में मैंने कितना पैसा , नाम ,कमाया ! एक खोली में रहनेवाली लड़की आज आराम से इतने बड़े होटल में रह सकती है।
' माँ ,तू होती तो कितना अच्छा होता ? उफ्फ ! ' मुड चेंज करना जरुरी था। इसलिए उसने TV लगाया । TV देखते देखते खाना ख़त्म किया। TV बंद किया। अभी आरामसे सो जाते है ,सुबह कोई जल्दी नहीं है। ये सोचकर वो कॉट पर लेट गयी। और कुछ ही देर में नींद आ गयी। कुछ ही समय में टेम्प्रेचर और गिर गया ,तो उसे ठंडी बजने लगी ,उसने नींद में ही रजाई ओढली ,और करवट बदली।
आँख खुली तो ध्यान खिड़की की ओर गया। परदा हवासे झूल रहा था। और खिड़की के बाहर कुछ परछाई हिल रही थी। उसने ध्यान नहीं दिया ,दोबारा करवट बदली। लेकिन अभी फुसफुसाने की आवाज आने लगी। मन में कुतूहल जाग उठा। थोड़ा डर भी था ,इनसेक्योर फिलिंग ! के आखिर है क्या ? वो उठ गयी। बालकनी का दरवाजा खोला। बाहर देखा ,कोई नहीं था। सामने एक बडासा पेड़ था। उसकी परछाई हवासे लहरा रही थी। 'क्या सायली ,तू भी ?' वो अपने आप पे हसने लगी। ' इतनी सी बात से डरने लगी ?चल सो जा ! ' दरवाजा बंद किया ,और कॉट पर सो गयी। नजर खिड़की पर थी ,और कुछ होगा लग रहा था।
उसका एक्साइटमेंट बढ़ गया था। मुंबई में रोज का वही काम करके वो बोर हो गयी थी। उस माहौल में रहकर जिंदगी रुक सी गयी थी। यहाँ आकर थोड़ा अच्छा लगा ,और आज की रात तो बहोत ही अच्छी लग रही थी। कुछ नया होनेवाला है ,ऐसा लग रहा था। पलक झपकते झपकते नींद कब लग गई ,पता ही नहीं चला , और थोडीसी आहट से आँख खुली। खिड़की से बाहर बाल्कनीमें कुछ परछाईया दिख रही थी। और कुछ आवाजे आने लगी। जैसे कोई धीरे धीरे बोल रहा हो। वो धीरे से उठकर खिड़की के पास गयी। धीरेसे पर्दा हटाया।
उतनी आहट से परछाईया स्तब्ध हो गयी। जैसे खिड़की की ओर देख रही हो। एक पल के लिए मन में विचार आया , खिड़की खोलकर देखते है लेकिन दिल नहीं मान रहा था। दिल और दिमाग दोनों मे लड़ाई चल रही थी। खिड़की खोले या दरवाजा समझ में नहीं आ रहा था। दरवाजा खोला और कुछ नहीं हुआ तो ?
खिड़की खोलकर देखना ,कितना थ्रिलिंग और एक्साइटमेंट होगा ?खिड़की स्लाइडिंग की थी। उसने आराम से पर्दा हटाया। परछाईयोंको पता चल गया था। उनकी हलचल रुक गयी। लेकिन अभी एक ही बड़ी परछाई दिख रही थी। सायली को ये थ्रिल अच्छा लगा। उसने धीरे से खिड़की की कांच खोली। बाहर कुछ नहीं था। उसने खिड़की बंद की। लेकिन इस बार पर्दा नहीं लगाया।
'कैमरा लाती तो अच्छा होता।कुछ न कुछ शूटिंग जरूर करती। ' उसे कुछ याद आया ,'एक छोटा कैमरा बैग में रखा था। अगर होगा तो अच्छा होगा। चलो देखते है। वो बैग की तरफ बढ़ी। कैमरा ढूंढने लगी। "क्या ढूंढ रही हो ?" सायली ने अनजाने में बोल दिया ,"कॅमेरा "! और घबरा गयी। "कौन है ?" उसने आजु बाजु देखा ,कोई नहीं था।
लेकिन ये आभास तो बिलकुल नहीं है ! रूम में एक परदा था। उसकी नजर परदे पर गई। कौन है ? रिस्पॉन्स नहीं मिला। सायलीने कॅमेरा ऑन किया, और परदे की दिशा में सरकने लगी। तभी बेल की आवाज सुनाई दी। वो डर गई। " कौन होगा ? " उसने जल्दीसे दरवाजा खोला। बाहर वेटर था। इसे डरा हुआ देखकर उसने पूछा," मैडम क्या हुआ ? Any Problem ? " उसने कॅमेरे की तरफ देखकर पूछा, " इतनी रात को शूटिंग क्या कर रही है आप ? यहापर शूटिंग करना अलाउड नहीं ! "
" What ? यहाँ कुछ है जो दिखता नहीं है ! एहसास तो है लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिलता। " " मैडम आपकी भलाई के लिए कह रहा हूँ शूटिंग मत कीजिए। It's Harmful For You ! " सायली जोरजोर से हसने लगी। उसकी हँसी वेटर देखता ही रह गया। " मैडम कॅमेरा इधर दीजिए। " " Are You Mad ? तुम्हे पता भी है तुम क्या कर रहे हो ? वेटर वन मिनिट, अभी तुम्हारी कंप्लेंट करती हूँ ! " सायली ने इंटरकॉम से रिसेप्शनपर फोन लगाया। और वेटर की कंप्लेंट की। उधर का जवाब सुनकर उसका सर चकरा गया।
" what nonsense ! " उसने फोन कट कर दिया। वेटर को शायद पता था, क्या होनेवाला है, वो इंतजार ही कर रहा था। उसने हाथ आगे किया। " मैडम कॅमेरा प्लीज ! " " नहीं दिया तो ? " " OK मत दीजिए। लेकिन आप अपनी जान जोखिम में डाल रही है। " " क्यों ? " " मैडम इस रूम के अंदर आपको कुछ अलग महसूस हो रहा है ना ! " " मतलब ? " " by the way ! आप कभी किसी होटल में रुकी है या फर्स्ट टाइम है ? "
सायली को जवाब देना जरुरी नहो लगा। वो चुपचाप बैठी रही।" ठीक है ! आप कहा से आई है ? " " मुंबई ! " " फिर इतनी दूर क्यों आई ? " " But who are you ? and How are you dare to ask me ? " " मैडम गुस्सा मत कीजिए ! वैसे तो बताना नहीं चाहिए लेकिन बताता हूँ। इस रूम में मौत हुई थी। वहाँ एक लड़की बालकनीसे गिर गई थी। सरपर गिरी और मर गई।
इस रूम में उसका बॉयफ्रेंड था। उसने फोटो निकाले थे। फोटो ऐसे थे की लड़की शरमा जाए , घबरा जाए ! उसने मजाक मजाक में ही निकाले थे। लेकिन उस लड़की को ये बात हजम नहीं हो रही थी। वो उसके पीछे पड़ गई। वो फोटो डिस्ट्रॉय कर दो , और कॅमेरा मांगने लगी। मांगने क्या लगी उसके पीछे ही लग गई। लेकिन वो लड़का मजाक करता रहा। बालकनी का दरवाजा खोलकर बालकनी में भागा। वो लड़की उसके पीछे भागी। मस्ती करते करते बालकनी की ग्रील की तरफ कब चले गए, उन्हें पता नहीं चला। और वो लड़की बालकनी से निचे गिर गई।
ये उसे बचाने गया तो उसका भी बॅलन्स बिगड़ गया, वो भी निचे गिर गया। और मर गया ! वो लड़की भी !" फिर..... " " फिर क्या ? " " तबसे यहाँपर कोई नहीं आता। लेकिन आज आप आ गई। वो भी कॅमेरा लेके ! " " अरे लेकिन प्रॉब्लम क्या है ? " " प्रॉब्लम यही है की वो लड़की यही है और आपकी जान खतरे में है ! " " लेकिन ये सब तुम्हे कैसे पता ? " " वो लड़का मै ही हूँ ! So Camera Please ! " " नहीं मै कैमेरा नहीं दूंगी। मैंने ये सब शुट किया है। मै ये सब दुनिया को दिखाउंगी !
" It's Imposible ! " वेटर ने दरवाजा बंद किया अब वो वेटर नहीं, अपने असली रूप में आ गया। शूटिंग करते करते सायली पीछे सरकने लगी। तभी बालकनी का दरवाजा खुल गया। सायली चौक गई। दरवाजा किसने खोला ? यहाँ तो कोई नहीं है ? वो लड़का हाथ आगे करते करते उसके पास आ रहा था। और वो बालकनी की ओर पीछे पीछे जा रही थी। वो बालकनी में आ गई।
" madam please camera दीजिए। " " नहीं मै कॅमेरा नहीं दूंगी। " "फ़ाइनल....... " " हाँ " " ok ! ठीक है। जेनी....... " और अगले ही पल में वहा एक आकृति उभरकर सामने आ गई। और रूम से बाहर आई। ' मतलब ये अंदर थी ! ' अभी जेनी की आवाज आई। " सायली कॅमेरा दे दे ! " " नहीं जान भी गई तो भी नहीं दूंगी। " " ठीक है तुम्हारी मर्जी.. " और अगले ही पल में सायली उपरसे निचे गिर गई। गिरते गिरते वो देख रही थी। दो आकृतिया सामने थी। उसे देख रही थी। कॅमेरा उनके पास था। सायली धड़ाम से होटल के निचे जो फ्लोरिंग थी उसपर गिर गई गर्दन के बल ! सायली निचे गिरी और उसकी आत्मा ऊपर की ओर गई अपने कॅमेरे की तलाश में..... लेकिन अब वो कॅमेरे का क्या करनेवाली थी ! ...........
लेखक : योगेश वसंत बोरसे.
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