BHAGAM BHAG - MOTIVATIONAL SPEECH

                            BHAGAM BHAG - MOTIVATIONAL SPEECH

MOTIVATIONAL THOUGHTS
मोटिवेशनल स्पीच 

                              भागम - भाग 

         TV पर एक AD आता है ,

    'इस भागदौड़ भरी जिंदगी में थकना मना  है।'  बिलकुल सही है ? लेकिन क्या हमें ये पता है की हम क्यों भाग रहे है ? किसलिए भाग रहे है ?

  इसके कुछ जवाब इस तरह होते है , हो सकते है !

किसीको अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी है !

 किसी को अपनी जरूरते पूरी करनी है !

 किसीको अपने सपने पुरे करने है !

 किसीको अपने आपको साबित करना है !

 कोई हक के लिए ,कोई अधिकार के लिए , सत्ता पाने के लिए ,हासिल करने के लिए भाग रहा है !

 किसीको आदत है भागने की ,इसलिए भाग रहा है !

 किसी के पास सब कुछ है ,फिर भी वो भाग रहा है ! उसे और चाहिए ! थोड़ा और ! ये दिल मांगे MORE ! सदियों से यही चलता आ रहा है ! सदियों से क्या ?युगो से !जब से इंसान बना है ,संभला है ,उसे समझ आई है ,तब से यही भाग दौड़ चल रही है ! न जाने कितने सत्ता संघर्ष हुए ,कितने युद्ध हुए ,कितनी हुकूमते आई ,गयी ,कितने साम्राज्य बने ,खड़े हुए ,बड़े हुए ,नष्ट हो गए !ये सदियोसे चलता आ रहा है और शायद युगो तक चलेगा ,या फिर जबतक इंसान रहेगा तबतक वो भागता रहेगा ,क्योकि शायद ये उसकी फितरत है !

  लेकिन इस चक्कर में सब एक बात भूल जाते है , की हमें आखिर हासिल क्या हुआ ? क्या होगा ? कोई कहेगा ये बेवकूफ है ,कुछ भी कहता है ? कोई कहेगा ये सच कह रहा है ! सदिया गुजर गयी। कुछ गिने चुने लोगो के नामो के सिवा क्या बचा  है ? क्या बाकि है ? करोडो लोगो ने जनम लिया ,करोडो लोग मर  गए !

      हमें कितने लोगो के नाम याद है  ? शायद सौ ? हजार ? पांच हजार ? दस हजार ? कोई कहेगा हमें आजादी मिली ,हमने संघर्ष किया ,लड़े ! इसलिए आजाद हुए ! लेकिन सच बताइये ,क्या हम आज भी आजाद है ? नहीं !हम आज भी जंजीरो में जकड़े है ! कर्ज की जंजीर ,नौकरी की जंजीर  प्यार की जंजीर , डर की जंजीर ! हां ! डर की जंजीर ! क्या ये हो जायेगा ? कही ये न हो जाए ? कही वो न हो जाए ? तो हम कहाँ  आजाद है ?हम कहा अपनी मर्जी के मालिक है , शायद कुछ लोग होंगे !

     लेकिन सच तो ये है हमें  जंजीरे अच्छी  लगती है ,गुलामी अच्छी लगती है ,कही पर बंधे रहना अच्छा लगता है बैल की तरह , सांड की आजादी हमे पसंद नहीं।  कोई मजबूरी में गुलामी करता है ! कोई प्यार में गुलामी करता है !

    दोस्तों ,अगर किसीको डायरी पेन लेकर लिखने को बोलेंगे तो वो मुश्किल से १० से २० नाम बगैर सोचे लिख पायेगा।  आप भी ये TRY कर सकते हो ! उसके बाद वो सोचते सोचते ५० नाम लिखेगा ! उसके आगेके ८० नाम लिखते लिखते वो पेन चबाना शुरू करेगा ,या उसका सर दर्द करेगा ,या वो कागज ही फाड् देगा ,या मुझेही दो चार गालिया दे देगा ! क्या करे हम आदतों के जो गुलाम है ! और अगर उसने आगे के १०० नाम लिखने भी चाहे तो वो बाल नोचने लगेगा ! 

    कहने का मतलब ये की कोई आम आदमी १०० नाम भी ढंग से नहीं लिख पायेगा ,बगैर सोचे ,समझे ! वो ये जरूर सोचेगा इसका नाम लिखू ? नहीं नहीं ! इसने क्या किया है ?वो तो उसने किया था !  तो  ऐसे हालत में हम जो करोडो की संख्या में पैदा हो रहे है ,मर रहे है ,हमारा वजूद क्या है ? अगर किसीको उसकी पहली दस पीढ़ियों के मतलब उसके दस पुर्खोके नाम पूछेंगे ,तो मुश्किल से दो चार ही बोल पायेगा ! 

तो बाकि लोगो का वजूद क्या था ?या उन्होंने ऐसा कुछ किया ही नहीं जिससे उनका नाम रोशन रहे ? या वो सिर्फ उनके लिए काम करते रहे जिनके आज नाम है ? उन्होंने खुद की जिंदगी दांव पर लगा दी दुसरो का भविष्य सवारने के लिए ! अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुधरने के लिए ? 

   कहने का मतलब ये की हम किसके लिए भाग रहे है ? किसी दूसरे का नाम बड़ा करने के लिए ? किसी दूसरे  की  कम्पनी को बड़ा करने के लिए ? उसे आमिर बनाने के लिए ? किसी दूसरे का भविष्य उज्वल बनाने के लिए ? या खुद के लिए ? 

खुद  के लिए ? मेरे लिए ? लेकिन मै कौन हूँ ? और इन सबके बिना मेरा वजूद क्या है ? कुछ भी नहीं ! 

एक माँ का बेटा ? एक बाप का वारिस ? एक बहन का भाई ? एक बीबी का पति ? अपने बच्चोका पिता ? एक अच्छा नौकर ? एक अच्छा नागरिक ? एक अच्छा इंसान ? कौन हूँ मै ?मेरा वजूद क्या है ? मेरी पहचान क्या है ? 

  मै क्यों जी रहा हूँ ? मै क्यों मर रहा हूँ ? मै आज जो कुछ भी हूँ ,उससे मै क्या हासिल करना चाहता हूँ ? क्या हासिल कर पाउँगा ? INFACT आजतक क्या हासिल कर लिया ?किसके लिए हासिल किया ? 

क्या मै अच्छा बेटा बन पाया ? अच्छा भाई बन पाया ? अच्छा दोस्त बन पाया ? अच्छा पिता बन पाया ? अच्छा पति बन पाया ? अच्छा नागरिक बन पाया ? क्या अच्छा इंसान ही बन पाया ? मेंरे अच्छे होने का CRITERIA क्या है ? मेरे अच्छे होने का प्रमाण क्या है ? ये कौन तय करेगा की मै अच्छा हूँ या बुरा ? और इसका बेस क्या है ? इसका आधार  क्या है ? कौन तय करेगा ?रिश्तेदार ? समाज ? या वो लोग जिनको मै जानता हूँ ! या शायद जानता भी नहीं ? कौन तय करेगा ? 

  इस संसार में न तो कुछ अच्छा है न बुरा !जो चीज हमे फायदेमंद होती है ,वो हमे अच्छी लगती है ! जिससे हमारा नुकसान होता है वो बुरी ! एक ही घटना से किसी का  फायदा होता है ,किसीका नुकसान ! आज तक जितने भी युद्ध हुए ,उन्हें क्या कहेंगे ?अच्छा या बुरा ? जो जित गए उनके लिए अच्छा था ,जो हार गए उनके लिए बुरा !जिनकी जिंदगी सवर गयी उनके लिए अच्छा , जिनकी उजड  गयी उनके लिए बुरा !

  सच तो ये है दोस्तों , ये दुनिया सिर्फ व्यवहार  देखती है ,समझती है , ध्यान में रखती है !किसने हमें क्या दिया ? हमारे लिए क्या किया ? हमारे लिए क्या छोड़ के गया ? अगर हमने कुछ किया हो। तो हमारा नाम शायद याद रखेंगे ,याद करेंगे ! और अगर नहीं याद किया तो हम क्या करेंगे ? हम किसीका क्या उखाड़ेंगे ? वैसे भी किसीने सच कहा है ,की नाम में क्या रखा है ? चाहे ये हो चाहे वो हो ! भागना तो सबको है ! चाहे इच्छा हो या न हो ? मै भी भाग रहा हूँ ? क्या आप भाग रहे है ? तो भागो..... भागते रहो !....अगर जिंदगी के किसी मोड़ पर मिल गए तो थोड़ा मुस्कुरा देना। .क्योकि थोड़ा और भाग सकू ...... 

                                            आपका - लेखक : योगेश वसंत बोरसे.                  

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NOTE : {यह एक विचार है ,उम्मीद है आपको पसंद आया हो ,अगर ना भी हो तो गुस्सा मत करना ,थोड़ा मुस्कुरा देना। ....... }


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