झूठन - ७ हिंदी भयकथा | JHUTHNAN -7 HINDI HORROR STORY | hindi bhaykatha

                             झूठन - ७  हिंदी भयकथा - HINDI HORROR STORY 


HINDI KAHANIYA
 HIONDI HORROR STORIES

   PART - 7                                                       लेखक :योगेश वसंत बोरसे. 

          "भाभी ,ये क्या कर दिया ?" समिधा जोर से चिल्लाई !सामने बैठी जानकी उनकी तरफ देखकर पागलो जैसी हस रही थी।  उसकी नजरो में कोई पहचान नहीं थी।  उसकी हसी बहोत ही खौफनाक थी ! "ये पागल तो नहीं हो गयी !" समिधा जोर से बोली। श्रुति की हालत देखकर श्रेयस सन्न हो गया था।  उसे समझ नहीं आ रहा था की इसकी क्या गलती थी ! श्रेयस बेकाबू हो गया ,वो श्रुति की लाश की ओर टकटकी लगाए देख रहा था। पागलो जैसी हरकत करने लगा।  उसने चारो ओर देखा ,एक साइड में कुछ फल टेबल पर रखे थे। वो फल उठाकर सामने बैठी जानकी की ओर फेकने लगा।  उसने चाकू भी फेका ,लेकिन एक भी चीज जानकी को नहीं लग रही थी , हर चीज उसके शरीर से आरपार जा रही थी ! 

    श्रेयस थोड़ा संभला। उस को समझ नहीं आ रहा था की इस पर किसी चीज का असर क्यों नहीं हो रहा है !' ये क्या चक्कर है ?' "श्रेयस तुम यहासे चले जाओ !" समिधा जोर से चिल्लाई , वो श्रेयस को धक्का दे रही थी।  श्रेयस ने समिधा के हाथ पकडे और उसे जोर जोर से हिलाया। "माँ ,होश में आओ ! ये जानकी आंटी नहीं है ! " लेकिन समिधा को ये सब बर्दाश्त से बाहर था ,वो ये सब टेंशन सह नहीं पाई वो बेहोश हो गयी।  

    दिन के उजाले में ऐसा भी कुछ हो सकता है ,इसपर श्रेयस को यकीं नहीं हो रहा था। 'अगर ये जानकी आंटी नहीं है तो फिर आंटी कहा पर है ? उनकी जान को खतरा तो नहीं होगा ?' वो वैसे ही घरमें ढूंढने लगा। बैडरूम में जानकी कॉट पर खून में लथ पथ पड़ी थी। "आंटी !" श्रेयस उसकी ओर भागा , तभी आवाज गुंजी " श्रेयस मुझे माफ़ कर दो ! मै तुम्हारी श्रुति को नहीं बचा पाई ! " श्रेयस बौखला गया।  "आंटी ,आप कहा है ?" "मै  यही हूँ श्रेयस ! तुम्हारी ही राह देख रही थी। लेकिन तुम्हे देर लग गयी ! " "लेकिन हम तो झट से वापस आ गए ! आंटी सामान कार में ही था तो हमे दोबारा क्यों भेजा ?" 

     " क्या बात कर रहे हो श्रेयस ? मैंने हम सब की जान जोखिम में डाल कर तुम को भेजा था ! भला मै  ऐसा क्यों करुँगी ?" "मतलब आपको मालूम नहीं था ?"  "नहीं ! वरना मै तुम्हे क्यों भेजती ? ये सब श्रीधर का किया धरा है , मुझे नहीं लगा था की वो इतना आगे तक जायेगा ! तुम जिन्दा हो ये जैसे ही उसे समझ में आया वो यहाँ पर आ धमका ! उसे लगा तुम लोगो को मैंने ही बचाया होगा इसलिए वो मुझपर भड़का था ! उसने कब मेरा गला काट दिया मुझे पता भी नहीं चला ! श्रेयस तुम यहासे जल्दी निकल जाओ ,अपनी माँ को भी साथ में ले जाओ ,वरना वो तुम्हे भी ख़त्म कर देगा ! " "माँ ?" श्रेयस को झटका सा लगा ,माँ बाहर ही पड़ी थी और मै  इधर भागा ?"

     "माँ !" वो आवाज देते हुए बाहर की ओर भागा ,पूरा घर छान मारा ,बाहर देखा , लेकिन समिधा का कही पता नहीं था।  श्रेयस के पैरो तले से जमीं खिसक गयी ! न समिधा का अतापता था ,न ही श्रुति की लाश का ! न हीं उस जानकी का अस्तित्व था जो उन्हें देख कर हस रही थी। ' ये सब क्या चक्कर है ?' 

     ये सब श्रीधर का किया धरा है ऐसा श्रेयस को लगा। उसने कार निकाली ,और हॉस्पीटल मे पोहोचा ,और रिंकी के रूम की तरफ भागा।  श्रीधर कॉट के पास सिर टिकाये बैठे थे।  श्रेयस ने गुस्से में आकर पीछे से धक्का दिया , तो श्रीधर एक ओर लुढ़क गए।  वो हमेशा के लिए सो गए थे।  "अंकल ssss ! " श्रेयस की आवाज सुनकर नर्स भागती हुई आयी।  "क्या हुआ ?" लेकिन उसने अंदर का मंजर देखा और वो भी चिल्लाने लगी ! श्रीधर का भी गला काटा गया था ! श्रेयस बहोत डर गया।

     ' ये क्या चल रहा है ?अगर ये काम इन दोनों का नहीं तो फिर कौन कर रहा है?और माँ कहा है ?' वो वैसे ही बाहर की ओर भागा ! लेकिन बाहर उसे पोलिस ने हटका।  किसी केस के सिलसिले में पुलिस हॉस्पिटल में आयी थी ,इनकी आवाज सुनकर वो भी चौक गए थे ! श्रेयस ने सुबह से जो कुछ भी हुआ था सब विस्तार से बता दिया ! पुलिस भी चकरा गयी थी , और श्रीधर को गला काट के मारा था तो कोई हथियार भी नहीं मिला था।  तो श्रेयस पर कैसे इल्जाम साबित करेंगे ? और श्रेयस के पास इतनी जानकारी थी थी की ये कुछ अलग ही चक्कर  लग रहा था ,और उस बात पर ध्यान न  देना,सरासर बेवकूफी थी !

   वो सीधे श्रेयस के साथ श्रीधर के घर पोहोचे। पुलिस को जानकी की डेड बॉडी मिली बैडरूम में !इनको मारने के बाद श्रेयस हॉस्पिटल जाकर दूसरा खून करेगा ,ये बात  पुलिस क्या किसी को भी हजम होने वाली नहीं थी। उसमे समिधा गायब थी ,पुलिस को उस पर शक हुआ।  क्योंकि श्रुति की डेडबॉडी भी गायब थी ! श्रेयस गुस्से से पागल हो गया ,पुलिस ने उसे कैसे तो भी समझाया की वो सिर्फ अंदाजा लगा रही है की क्या हुआ होगा ! वैसा ही हुआ होगा ये हम नहीं कहते ,लेकिन तुमको पुलिस स्टेशन आना होगा ,और लिखित बयान देना होगा !

    श्रेयस को कोई ऐतराज नहीं था वो तैयार हो गया।  कुछ ही समय में वहा  की कारवाई पूरी की गयी,और पुलिस के साथ श्रेयस पुलिस स्टेशन गया जानकी और श्रीधर की डेड बॉडी को पोस्ट मोरटम के लिए भेजा गया , मौत  का कारन वही  सामने आया ,गला काटने से मौत हुई थी।

  देखते ही देखते शाम हो गयी।  दोनों डेड बॉडीज श्रेयस को हैंड ओवर की गयी। श्रेयस  ने उनका अंतिम संस्कार किया।  अभी वो अकेला था ,कहा रहना है ? क्या करना है ? समझ नहीं आ रहा था।  समिधा का कही अतापता नहीं था ,न हीं श्रुति की बॉडी मिली थी !

    परेशां होकर ,थका हारा ,वो अपने घर लौटा ! इतना बड़ा घर , जैसे अकेले आदमी को खाने को देख रहा था ! एक हफ्ते के अंदर अंदर घर के चार सदस्य गुजर चुके थे।  क्या हो गया ? क्यों हो गया ?अब इन बातो का कोई मतलब ही नहीं बचा था।  किसके लिए जिएंगे ? किसके लिए जवाब ढूंढेंगे ? सोच कर भी दिल भर आया ! और वो फुट फुट कर रोने लगा। 

   और तभी ,जोर जोर से दरवाजा बजने लगा।  'इतने जोर से कौन पिट रहा है ? बेल क्यों नहीं बजा रहा ? तभी आवाज आयी ,"श्रेयस !" 'माँ ?'  उसने जल्दी  में दरवाजा खोला। सामने समिधा थी ,बहोत डरी हुई! "माँ , तुम कहाँ थी ?" "श्रेयस ,यहाँ से जल्दी निकलो !" " माँ , अब कहाँ जायेंगे ? सब ख़त्म हो गया है ! पापा ,भैया ,भाभी ,श्रुति कोई नहीं बचा ! तो मै भी जीकर क्या करूँगा ?" "श्रेयस , तुम्हारे पापा ने क्या कहा था ,माँ के साथ जा ! तुम उनकी बात नहीं सुनोगे ?" "माँ ,हम जानकी आंटी के साथ जाने वाले थे वो भी नहीं रही ! ना अंकल रहे ! ""क्या ?" "हां माँ ,दोनों को किसीने मार डाला !"

     समिधा को ये जानकारी नयी थी ,वो उसकी जान बचाकर कैसे तो भी श्रेयस तक पोहोची थी ! उसे खुद की जान का मोह नहीं था , लेकिन कुछ भी हो श्रेयस को बचाना उसके लिए जरुरी था। "माँ ,श्रुति की बॉडी भी नहीं मिली ! " "श्रेयस, ये सब क्या चल रहा है ?" "माँ ,सब कुछ ख़त्म हो गया है ! मेरी श्रुति भी मुझे छोड़कर चली गयी ! " वो जोर जोर से रोने लगा ,सुबह से जितना कण्ट्रोल किया था ,माँ को सामने देखकर सब बाहर आ गया। वो श्रुति को आवाज देने लगा !

   समिधा को समझ नहीं आ रहा था ,की कैसे इसे शांत करे ? तभी धाड़ से दरवाजा बंद हुआ और घर का माहौल बदल गया ! जो श्रेयस ने भी महसूस किया।  उसका रोना अपने आप बंद हो गया। ' खतरा !' और एक के बाद एक हसी चारो ओर गूंजने लगी।  श्रेयस की समझ में आ गया ,ये उन्ही शक्तियों का काम है ! श्रीधर अंकल ने उन शक्तियों को जगा तो दिया लेकिन अपने वश  में नहीं रख सके !उन शक्तियों की ताकद बढ़ती ही गयी !

  "श्रुति गयी ! अब तू भी जायेगा !" चारो ओर आवाज गुंजी ! समिधा जोर से चिल्लाई ,"श्रेयस जल्दी यहासे बाहर निकलो ! " लेकिन उन शक्तियों की हसी इतनी भयानक थी की श्रेयस को समझ नहीं आया।  और कुछ ही देर में समिधा की चीख माहौल में गुंजी ! श्रेयस को बचाने के  प्रयास में वो ही बलि चढ़ गयी ! " माँ ssss !" श्रेयस जैसे पागल हो गया। हाथ में जो भी आ रहा था वो उन आकृतियों पर ,परछाईयों पर फेंक रहा था।  लेकिन उससे कुछ हासिल नहीं हुआ !कुछ देर वो चीजे हवा में तैरती हुई उसकी ओर आने लगी और उसपर बरसने लगी !

     श्रेयस पूरी तरह थक चूका था ! उसे जानकी के शब्द याद आने लगे ," श्रेयस ,तुमने हनीमून जाकर गलती  कर दी ! वरना तुम्हारे पापा , भैया जिन्दा होते , शायद मेरी नीलिमा भी जिन्दा होती ! " श्रेयस को भी वो बात समझ में आ गयी थी ! 'शायद हम सब बच जाते !' वो बाते दिमाग पर टकरा रही थी , और चीजे पुरे शरीर पर चोट पोहोचा रही थी ,और तभी ! सररर से गले पर कुछ चल गया ! श्रेयस की नजरो में हैरानी ,दुःख ,दर्द , ख़ुशी एक पल के लिए आते गए और वो निचे गिर गया ! 

     अब उसकी नजर खो गयी थी ! जिस्म से जान निकल चुकी थी ! लेकिन उसकी आँखोमे ख़ुशी किस बात की थी ? हां ! ख़ुशी ! मरने की ख़ुशी ! अपने प्रियजनो से मिलने की ख़ुशी ! वो जिन्दा नहीं था तो क्या हुआ ? अपने लोगो के साथ तो था ! 

   पापा ,भैया ,भाभी ,  श्रुति , माँ , श्रीधर ,जानकी ,सब दोबारा मिले थे !

सब को एक ही फ़िक्र थी !'अब रिंकी को कौन संभालेगा ? लेकिन एक ख़ुशी थी ,इतनी मौते होने के बाद भी कोई जिन्दा बचा था ,रिंकी बच गयी थी ! मतलब हम भी बच सकते थे ? लेकिन उसके लिए फिर क्या करना चाहिए था ?'

           ' के रिंकी को भी अपने पास  .......  '

                                                  THE END 

                                                             लेखक :- योगेश वसंत बोरसे


















Previous
Next Post »