घनश्याम - Hindi Kavita
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हिंदी कविता |
Hindi kavita -
:- घनश्याम :-
कवि : राज योगेश बोरसे
दिल को आज बड़ा ही सुकून मिला है
पूरा बदन, देखके नजारा खिल पड़ा है
रोशन हुई है ये सारी फ़िज़ाए
मेरे सामने आज खुद मेरा घनश्याम खड़ा है
देख रहा था वो मुझे बड़ी प्यार भरी निगाहो से
गुलजार था ये समा इन सारी फिजाओं से
ये आज का नहीं हमारा बड़ा पुराना रिश्ता है
लेकिन आया आज सामने ऐसे
जैसे सोना पानी से भी सस्ता है
उसके एक अंश के दर्शन मात्र से ही, मै ऐसा घुल गया
वो खड़ा ही रहा मै उसे बिठाना भूल गया
देखे जा रहे थे दोनों एक दूसरे को बिना पलके झपकाए
हम दोनों शामिल थे ऐसे आँखो ने बस आँसू टपकाए
मै इन सारे पलों में ऐसा खो रहा था
जैसे कोई मेरे आयत के लिए आज ही सारे इनायतेँ दे रहा था
नहीं दे रहा था, आज वक्त भी नजाकत
ताकते ताकते हम दोनों को, उस ही लम्हे पर रुककर हमें दे रहा था दावत
आज सच मे दिन बहुत बड़ा है
क्यों की मेरे सामने घनश्याम खड़ा है
बिखर कर टूट गया वो लम्हा अचानक, जो मेरा अपना था
होश में आया तो पता चला की ये मेरा सपना था
उस एक पल ने बहुत कुछ दिलाया था
सपना ही सही पर भगवान तो मिला था
कर रहा था मै दुआ ,भगवान से मेरे
मेरे भगवान ने शायद इसी पल का इंतजार करवाया है
मुझको आज मेरे भगवान से मिलाया है
जो नजारे ने आज सपने में दिखाया है
मुझ को आज मेरे कृष्ण से मिलाया है....