राज - हिंदी कविता | RAAZ - Hindi kavita
राज..... (RAAZ)
Hindi Kavita | Hindi Poem
![]() |
HINDI POEMS |
कवि : राज योगेश बोरसे
इक राज का इकरार करके बेकरार क्यों हो गया मैं,
अभी अभी तो ये राज सिर्फ पता चला है
जिसकी की थी तमन्ना वो मेरे सामने खड़ा है
दुआओ में भी आज सागर मिला है
क्यों ना करू खुदसे मोहोब्बत मैं
मेरा दिल भी ये कहता है
कुछ कुछ हो रहा है क्यों की दिल का राज खोला है
इक राज का इकरार करके बेकरार क्यों हो गया मैं,
अभी अभी तो ये राज सिर्फ पता चला है दो घड़ी आँखे बंद कर ली है, याद सबकुछ आ गया
प्यार,त्यौहार सब बाद में पहले अंदर से राज बाहर आ गया
जिंदगी ने खिलाए थे कुछ चक्कर कुछ ऐसे
क्या है वो अब समझमे आ रहा था
दौड़ लगाई उनकी तरफ, लेट गया उनकी गोदी में, और फूटफूट के रोया में उस दिन
क्या हुआ है आज, कोई भी समझ नहीं पा रहा था
ना मै - ना वो
इक राज का इकरार करके बेकरार क्यों हो गया मैं,
अभी अभी तो ये राज सिर्फ पता चला है
आज खड़ी है चेहेरे पे एक अलग मुस्कान, जो दबी पड़ी थी बरसो से
खिल पड़ी हर चीज वो, खफखफ़ा थी अरसो से
पूछा खुदसे आज, ये अलग अलग सा क्यों लग रहा है
अरे हां ! मैंने आज राज जो खोला है
वो राज था कुछ ऐसा, जो मैंने खोला है
बेहद अरसो बाद मम्मी - पापा को ' I LOVE YOU ' जो बोला है !
इक राज का इकरार करके बेकरार क्यों हो गया मैं,
अभी अभी तो ये राज सिर्फ पता चला है !
कवी : राज योगेश बोरसे
VISIT OUR YOU TUBE CHANNEL ALSO
⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰
- ALL RIGHTS RESERVED AT RAJ BORSE & BGSM
- ABOUT US
- PRIVACY POLICY
⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰⇰