जिंदगी क्या है ? - WORLD BEST MOTIVATION

                             जिंदगी क्या है ? - WORLD BEST MOTIVATION 

MOTIVATIONAL SPEECH
BEST MOTIVATION 

लेखक :- श्री. योगेश वसंत बोरसे 


       दोस्तों ,जिंदगी क्या है ?कभी सोचा है इसके बारे में ? सोचा है न ? हर कोई सोचता है ? तो आप भी सोचते होंगे ! इसपर तो गाने भी बनते है ! जो हमे बेहद पसंद आते है ! 
    लेकिन हमारा नजरिया क्या है ? वो सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है न ? की हमें क्या लगता है ? और इसी चक्कर में जिंदगी का पहिया घूम जाता है ! और पता चलता है उन्हें ,जो पीछे मुड़कर देखते है ! फर्क सिर्फ इतना है की आप जिंदगी को किस नजर से देखते है ! और जिंदगी के किस मक़ाम पर पोहोचने के बाद पीछे मुड़कर देखते है ! 

    दोस्तों नमस्कार , :- मै हूँ योगेश बोरसे और आप इस वक्त मेरे साथ है ! और मै आप के साथ हूँ ! मेरी उम्र आधे से ज्यादा ढल चुकी है ! और अभी कितनी सांसे बाकी है ,पता नहीं ! पीछे मुड़कर देखता हूँ तो बहोत सारी अच्छी बुरी यादें पीछे छोड़कर यहाँ तक पोहोचा  हूँ ! और आगे का सफर कैसा रहेगा वो तो एक बड़ा रहस्य है !

      लेकिन अगर मुझे एक लाइन में बोलना हो की जिंदगी क्या है ? तो मै एक ही बात बोलूंगा 

" जिंदगी इंसान के लिए खुद को साबित करने के अलावा कुछ नहीं !"

       क्या आप मेरी बात से इत्तेफाक रखते है ? मेरी बात से सहमत है ? अगर हां तो कमेंट करके जरूर बताना ! और अगर नहीं तो एक बार पीछे मुड़कर देखना , की मैंने अपने आप को आज तक कितने बार साबित किया है , साबित करने की जरूरत पड़ी है !

     उस पर खरे उतरे है !आप खुद समझ जायेंगे की हम हर सांस लेते है तो साबित करते है की हम जिन्दा है ! हम किसी के गम में रोते है तो साबित करते है की हम भावनाशील  है ! किसी बात पर खिलखिलाकर हस्ते है तो साबित करते है की हम जिंदादिल है ! 

     अच्छे नंबर से टॉप करते है तो साबित करते है की हम अच्छे स्टूडेंट है ! माँ -बाप की, बड़ो की इज्जत करते है तो साबित करते है की हम संस्कारी है ! दोस्ती यारी निभाते है तो अच्छे दोस्त साबित होते है ! 

     शादी की तो अच्छा पति होना साबित करना पड़ता है !मर्द होना साबित करना पड़ता है !  बाप बन गए तो साबित करना पड़ता है की हम अच्छे पिता है ! अच्छा काम कर के हम अच्छा एम्प्लॉय या एम्प्लॉयर साबित  होते है ! इसी प्रकार अच्छे पडोसी ,अच्छे नागरिक ,अच्छे इंसान और न जाने क्या क्या ?

     लेकिन क्या हम हर बार सफल होते है ? नहीं ! बिलकुल नहीं ! भगवान भी धरती पर आ जाये तो उसे भी खुद को साबित करना पड़ेगा की वो भगवान है ! और वो भी सफल नहीं हो पाता तो लोग उसे भी तकलीफ देते है ! जरा पीछे मुड़कर देखिए !

     तो अब - मेरा आप से यही सवाल है ,की हम खुद को साबित क्यों करते है ! इनफैक्ट हमे क्यों करना पड़ता है ? एक औरत को ये बार बार  क्यों साबित करना पड़ता है की वो शीलवान है ? उसका कैरेक्टर अच्छा है ? उससे हम क्या  हासिल करते है ? की हमारा समाज कितना जागरूक है ? 

     और  एक सवाल है - की क्या किसी शेर को साबित करना पड़ता है की वो निडर है ?शेर है ? किसी कुत्ते को साबित करना पड़ता है की वो वफादार है ? किसी गाय को साबित करना पड़ता है की है की उसका दूध बच्चो के लिए अच्छा रहेगा या नहीं ? सूरज और चाँद को साबित करना पड़ता है की वो क्या है ? नहीं ना  ! 

    अगर शेर है तो बहादुर ही होगा ! अगर कुत्ता या घोडा है तो वफादार ही होगा ! अगर गाय है तो  उसका दूध बच्चोको पोषक ही होगा ! अगर सूरज और चाँद है तो ही हमारा वजूद रहेगा ! नो डाउट ! कोई शक नहीं ! न ही शक की गुंजाईश !

        मगर   इंसान को देखकर  हम क्यों नहीं कह सकते की इंसान है तो अच्छा ही होगा ! क्यों हमारी पूरी जिंदगी निकल जाती है , किसी को पहचानने में ? फिर भी  हम पहचान नहीं पाते ? 

      या इंसान की फितरत है बदलना ? समय देखकर नया रूप  धारण करना ? 

      हर कोई  अपने आप को  साबित करने पर तुला है !

       किसी को अच्छा मोटिवेशनल स्पीकर बनना है ! किसी को अच्छा सिंगर बनना है ! किसी को अच्छा एक्टर ! किसी को अच्छा बिजिनेसमैन ! किसी को अच्छा नौकर ! किसी को नेता { अच्छा ?} ! किसीको लीडर ! किसीको अच्छा खिलाडी ! 

      और सबको आमिर बनना है ! पैसेवाला बनना है !शक्तिशाली बनना है !लेकिन सब एक बात भूल जाते है ! या फिर भूल ने का नाटक करते है ! की सब को एक दिन जाना है ! उस परमात्मा के पास ! शायद उसने ही हमे ऐसा बनाया है जान बूझकर !

 ताकी हम जिंदगीभर यही सब करते रहे ! और खुद की पहचान भूल जाए ! और जिंदगी भर ढूँढते रहे उस रहस्य को की क्या कुछ बन पाया ? क्या मै अच्छा इंसान बन पाया ? क्या मै  इंसान ही बन पाया ? या इंसानियत ही भूल गया ?

        भगवान ने कुछ सोच कर ही हम इंसानो को बनाया होगा !  हमे वो रहस्य जानना होगा ! समझना होगा !  जो समझ गया उसकी नैया पार ! बाकि अपने आप को साबित करते रहेंगे ! 

   " जय माता दी ! जय श्री कृष्ण ! जय श्री राम !" 

       मैंने यहाँ क्या साबित किया की मै अच्छा भक्त हूँ ? या ये भी सब दिखावा है ? क्या मै अच्छा भक्त हूँ ? क्या मै अच्छा इंसान हूँ ? लेकिन मै  ये क्यों कर रहा हूँ ?अगर मै  कहूंगा की मै अच्छा हूँ ! तो क्या आप मेरा यकीं कर लेंगे ? 

      मुझे यकीं है ! नहीं कर पाएंगे ? क्यो की हर व्यक्ति के पैरामीटर अलग होते है ! हर चीज के प्रति हर बात के प्रति उसका खुद का अनुभव  होता है ! चाहे वो सही हो या गलत ! वो उसे ही सही मानकर चलता है !

     लेकिन मै तो अच्छा ही हूँ !मतलब ऐसा मुझे लगता है !

   तो , जय माता दी ! जय श्री कृष्ण ! जय श्री राम !  

आपका दोस्त :- लेखक :- योगेश वसंत बोरसे 








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