चुड़ैल हिंदी भयकथा - HINDI HORROR STORY

चुड़ैल हिंदी भयकथा - HINDI HORROR STORY  


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                                                      लेखक : योगेश वसंत बोरसे. 

                  बारिश की  वो भयानक रात !शायद ऐसी  बारिश पहले कभी  हुई न  होगी।  नीरज अपने घर में अकेला था ,तेज बारिश की वजह से लाइट चली  गयी थी।  नीरज ने आगे का  दरवाजा बंद किया ,खिड़किया बंद की। और पिछले दरवाजे की  तरफ बढ़ा। जो जोर जोर  से आवाज कर रहा था। जैसे ही वो  दरवाजे की  तरफ बढ़ा ,चौक गया। दरवाजे में कोई था। शायद कोई औरत या कोई लड़की। 
           " क्या ,मैं अंदर आऊं ?" "नहीं बिलकुल नहीं !" "लेकिन मैं  तो आ गयी !" 'पर तुम हो कौन ?और इतनी बारिश में मेरे घर क्यों आई हो ?" "मुझे नहीं पहचाना ?" "क्यों ,पहचानना चाहिए ?" "हां ! हम पहले मिले है ," "कहाँ ?" "वो... पुराने बरगद के पेड़ के निचे !ऐसी ही तूफानी रात में !" "मुझे तो याद नहीं आ रहा। 
देखो ये ठीक नहीं है ,मै  घर में अकेला हूँ ,कुछ उच नीच हो गयी तो ,तुम्हारे घरवाले परेशान हो जाएंगे !बेहतर है तुम चली जाओ !" 
     'मेरा कोई नहीं है !"
        "तो ठीक है ,जहा रहती हो ,वहा  चली  जाओ !लेकिन यहाँ मत रुको। "
 "क्या बेवकूफ आदमी हो ,बाहर जोरो की बारिश हो रही है। बिजली नहीं है ,चारि तरफ अँधेरा है ,उसमे आज अमावस की रात है ! ऐसे में तुम एक लड़की को घर से बाहर भेज रहे हो ?"
      "अरे अमावस है तो क्या हुआ ? बाहर क्या भूत घूम रहे है ,या तुम्हे चुड़ैल खा जाएगी ?"
       "चुड़ैल मुझे क्या खायेगी ?" "क्यों, अभी तो तुम कह रही थी के मुझे डर लग रहा है। "  
"मैंने कब कहा की मुझे डर लग रहा है ,मै तो ये कह रही हूँ ,के तुम्हे डरना चाहिए !""क्यों ,मै क्यों डरू?"
   "क्यों की मै चुड़ैल हूँ !"
 "क्या बकती  हो ?ऐसा कही होता है ?ये सब बकवास है ! फिल्मो में देखने के लिए ,स्टोरी में पढ़ने के लिए ठीक है। ऐसा कुछ नहीं होता ,और तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की अगर चुड़ैल होगी ,तो बाकि औरतो को क्या कहेंगे ?"
     "तुमसे किसने कहा की मै खूबसूरत हूँ?" 
"भगवान ने सबसे खूबसूरत चीज बनाई है औरत !मेरे हिसाबसे तो हर औरत खूबसूरत है ,रही बात तुम्हारी..... तो तुम्हारी फिगर से पता चलता है के तुम बदसूरत नहीं हो सकती !"
"अगर बदसूरत निकली तो ?""तो मुझे क्या ?मुझे कहा तुमसे शादी करनी है ?या तुम पे डोरे डालने है ?देखो बहोत हो गया ,अभी यहाँ से निकलो। "
   उसे धक्का देने के लिए नीरज ने हाथ आगे किया ,लेकिन हाथ आरपार निकल गया ,लेकिन नीरज को अँधेरे में पता नहीं चला। उसे लगा शायद चली गयी होगी। तभी बिजली कौंधी ! तूफानी गड़गड़ाहट से पूरा माहोल थर्रा गया। और एक तेज रौशनी सामने खड़ी लड़की के चेहरेपर पड़ी। 
   तभी नीरज ने उसे देखा ,उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी। क्या कोई इतना खौफनाक दिख सकता है ?वो डर  के मारे पीछे सरक गया। तभी उस लड़की के मुँह से हसीं निकली। जिससे पूरा घर कापने लगा.नीरज पीछे की और भागा। पिछले दरवाजा शायद खुला था ,हा ,खुला ही था। 
   वो बाहर अँधेरे में भागा। और वो हसती , खिलखिलाती , उसका पीछा करने लगी।  बारिश जोरो  से चल रही थी। चारो और अँधेरा था ,नीरज भागते भागते सोचने लगा ,कहाँ जाए ? उसके मन में विचार आया की अगर किसी मंदिर में घुस जाऊ तो ये वहा नहीं आएगी। लेकिन आसपास कोई मंदिर भी नहीं था। 
  तभी उसके कंधे पर पीछे से हाथ पड़ा। उसे लगा जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया हो। वो जोर से चिल्लाया ,लेकिन हाथ की पकड़ कंधे पर इतनी मजबूत थी की वो हिल भी नहीं पाया। 
   " घबराओ मत ! वो चली गयी ! "किसी ने उसके सर को प्यार से सहलाया। तो उसका डर  थोड़ा कम हुआ। उसने मुड़कर देखा ,कोई भला आदमी होगा। इतने अँधेरे में इनका चेहरा भी नहीं देख पा रहा हूँ ठीकसे ! पर इतनी बारिश में ये कहाँ  घूम रहे है ?
    "बेटा तुम्हे भागते हुए देखकर मैं तुम्हारे पीछे आया। मैं  तो उस पेड़ के निचे था। बारिश रुकने का इंतजार कर रहा था। के तुम्हारे चीखने की आवाज सुनी।  तुम्हारे पीछे जो आ रही थी वो तो उसी मोड़ पर चली गयी। "
   "बाबा मैं घर में अकेला था ,बारिश की वजह से लाइट चली गयी थी ,शायद पिछला दरवाजा खुला था ,  शायद नहीं , खुला ही था। वही तो मैं  बंद करने  जा रहा था ,तभी वो अंदर आई। शायद दवाजा खुला ना भी होता तो भी वो अंदर आ ही जाती।" 
   "मुझे लगा कोई लड़की बारिश में फस गयी है। उसने कहा मैं  अंदर  आऊं ? मैंने तो हां भी नहीं कहा था की वो अंदर आ गयी। "
  "मैंने उसे बहोत समझाया के तुम्हारा यहाँ रुकना ठीक नहीं। मैं  घर में अकेला हूँ ,कुछ ऊंचनीच हो गयी तो गड़बड़ हो जाएगी। बाद में पछताना पड़ेगा। "
       "लेकिन वो डरने की बजाय जोर जोर से हसने लगी ,और मुझे डराने लगी ,तभी अचानक ,बिजली की तेज रौशनी उसके चेहरे पर पड़ी। और... उसका खौफनाक चेहरा देखके मेरे पसीने छूट गए। पैर अपने आप भागने लगे। मैं  घर से बाहर भागा ,तो वो भी पीछे आयी ,हसती ,खिलखिलाती हुई। और आप कह रहे है के वो चली  गयी ?कहाँ गयी होगी ?
    "खैर ,छोड़ो। धन्यवाद् बाबा !आपने मेरी  जान बचायी !चलिए पास ही में मेरा घर है ,वहा पर रुकिए। बारिश बहोत तेज है !  चलिए !"
    "नहीं बेटा ,मैं नहीं आ सकता !" "क्यों बाबा इतने बारिश में भीगने का क्या मतलब ?" "नहीं बेटा , वो उसका इलाका है और ये मेरा ,वो मेरे इलाके में नहीं आती और मैं उसके इलाके में नहीं जाता !"
     "मतलब ?" "मतलब तुम खुद समझदार हो ,समझ लो !!"
       और इतना कहकर वो गायब हो गया। नीरज के पैर  जैसे जमीन में धस गए थे। वो सन्न हो गया था। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। वो बिच सड़क में मुंडी  निचे करके खड़ा था। 
      अचानक सामने से कोई गाड़ी आयी ,उसकी तेज रौशनी नीरज पर पड़ी। और गाड़ी में से चीख निकली। ब्रेक की चरमराहट की आवाज से गाड़ी उसके पास रुक गयी।
   " क्यों  भाई मरना  है क्या ? हमारी ही गाड़ी  मिली ,चलो साइड में हो जाओ !" लेकिन नीरज टस से मस नहीं हुआ। 
        "hello " ओ ,भाईसाब,साइड में हो जाओ ,हमें घर पोहोचना है। कुछ रिस्पॉन्स नहीं मिला तो गाड़ीवाला उसके पास आया और उसे थोड़ा धक्का दिया ,तो नीरज धप से निचे गिर गया। जैसे कोई बेजान पुतला हो। 
  "बापरे ! ये तो शायद मर गया है ,वो सर पर पैर रखके भागा ,गाड़ी की ओर ,जैसे तैसे गाड़ी निकली ,रास्ता बनाकर निकल गया। 
    कितनी देर बाद होश आया ,नीरज को पता भी नहीं चला। उसका सर भारी हो गया था,वो सर दबाके बैठ गया। उसे रात का मंजर धुंधला धुंधला याद आने लगा ,उस गाड़ी वाले की आवाज उसके कानो में गूंज रही थी ,उसे समझ नहीं आ रहा था ,किसे अच्छा समझे ,किसे बुरा !
  जो जिन्दा था वो उसे मरने के लिए छोड़ गया था। और जो मरा हुआ था,उसने उसे बचाया था। वह उसी उधेड़बुन में घर की तरफ चलता रहा की इंसान की फितरत कैसी अजीब होती है ?
    जैसी फितरत होती है ,वैसा ही वो व्यवहार करता है ,चाहे वो जिन्दा हो या मुड़दा !
   अगर इंसान अच्छा हो तो उसकी आत्मा भी अच्छी होगी ,और अगर बुरा हो तो क्या फरक पड़ता है ?वो तो जियेगा तो तकलीफ देगा ,और मरने के बाद और ज्यादा तकलीफ देगा। 
   अपने ही विचारो से वो चौक गया ,मैं  अच्छा हूँ ,या बुरा ?मेरे मरने के बाद क्या मैं  भी ऐसे ही भटकूंगा ?
 क्या हम ,ऐसा सोचते है ?अगर हां तो अच्छी बात है ,और अगर नहीं तो कम से कम हमारी वजह से  किसीको तकलीफ न हो ,किसी की हानि न हो ,कोई मुश्किल में न आ जाए ,इसका ख़याल तो रख ही सकते है !
  फिर शायद हमें मोक्ष मिल सकता है ,मुक्ति मिल सकती है ,या फिर किसी को मदद करने की जिम्मेदारी !
    हम यही सब चाहते है ना? या कुछ और..... 
     

                                                  लेखक :योगेश वसंत बोरसे.


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