झूठन - 6 हिंदी भयकथा | JUHTHAN - 6 HINDI HORROR STORY | hindi bhaykatha

                          झूठन - 6  हिंदी भयकथा -  HINDI HORROR STORY 


HINDI KAHANIYA
 HINDI HORROR STORIES



PART - 6                                                      लेखक :- योगेश वसंत बोरसे
 

      श्रेयस और श्रुति ,जैसे तैसे रस्ते पर पहुंच गए। अभी कोई खतरा फ़िलहाल तो नहीं था। कुछ ही देर में सामने से एक कार आती  दिखाई दी।  श्रेयस ने  हाथ दिया तो कार उनके पास आकर रुक गयी।  "सर ,हमारी कार का accident  हो गया ,कार नीचे गीर गयी। हम कैसे तो बच गए। यहाँ से कुछ दुरी पर हमारे रिश्तेदार रहते है ,वहाँ तक अगर आप छोड़ देंगे तो मेहेरबानी होगी।" 

  साहब ने अड्रेस पूछा ,श्रेयस ने जब अड्रेस बताया तो उनकी तसल्ली हो गयी।"बैठिये ,छोड़ देता हूं !" श्रेयस और श्रुति कार में बैठ गए। कुछ ही देर में वो नीलिमा के घर पोहोचे। समिधा और जानकी उनकी ही राह देख थे।  "श्रेयस ,श्रुति ,कितनी देर लगा दी ?""क्या हुआ ?" "माँ , छोटासा एक्सीडेंट हो गया। " "क्या ?" "हां ! इसलिए देर हो गयी।" "रिंकी कैसी है ?" "रिंकी ठीक है। " "और श्रीधर ?" जवाब तो दोनों के पास नहीं था। वो कुछ नहीं बोले।

   समिधा और जानकी ने भी बात ज्यादा नहीं खींची ," बेटा ,श्रुति ज्यादा चोट तो नहीं आई ?" "नहीं माँ हम ठीक है। " "ठीक है थोड़ा आराम कर लो।  वापस हॉस्पिटल भी जाना होगा। " श्रेयस ने पहले पुलिस स्टेशन फोन किया,और एक्सीडेंट की जानकारी दी। 

        कुछ ही देर में सायरन बजाती हुई पुलिस आ गई।  श्रेयस और श्रुति को देख कर उन्हें हैरानी हुई।  क्योकि कार की हालत देखकर उन्हें लगा था की ये दोनों सीरियस होंगे !लेकिन इनको तो कुछ भी नहीं हुआ था। एक ही बात मुमकिन थी ,शायद पानी में गिरने से ज्यादा प्रॉब्लम नहीं हुई थी ,पुलिस ने वही रिपोर्ट दर्ज की। श्रेयस भी सच बताने के चक्कर में नहीं पड़ा ,कुछ फायदा भी नहीं था।  कोई यकीं नहीं करता। 

      लेकिन श्रेयस  ने तय किया था ,की माँ को सब बताएगा।  अगर माँ को बता दिया तो कुछ टेंशन कम होगा।  उसने श्रुति की तरफ देखा ,श्रुति समझ गयी ,उसने भी हामी  भर दी।  पुलिस के जाने के बाद श्रेयस ने माँ से कहा ,"माँ ,दो मिनिट। " "श्रेयस ,क्या बात है ?" "जरा बात करनी है। " "तो बोलना। "श्रेयस कुछ नहीं बोला , "ठीक है ,चल। "

     दोनों घर से बाहर आ गए , बाहर की खुली हवा में श्रेयस को जरा अच्छा लगा।  साथ में माँ भी थी, तो  सुरक्षित महसूस हो रहा था।  'श्रेयस कुछ प्रॉब्लम है क्या ?" श्रेयस ने ज्यादा वक्त न लेते हुए माँ को सारी बात बता दी।  समिधा उसकी बाते सुनकर हैरान हो रही थी। डर ,फिक्र ,गुस्सा ,तिरस्कार ,घृणा ,प्यार हर भाव चेहरेपर बदल  रहे थे। 

   कुछ ही देर में श्रेयस की बात ख़त्म हो गयी। "श्रेयस अब क्या करे ?" माँ ,पापा ने आप के साथ जाने को कहा है। तुम कहाँ गई थी।  समिधाने उस बारे बोलना मुनासिब नहीं समझा ,"श्रेयस, वहाँ तो हम जायेंगे ही ,लेकिन पहले जानकी को सब बाते बताना जरुरी है , "माँ ,लेकिन वो हम पर विश्वास क्यों रखेगी ?"" मुझे पूरा विश्वास है ,वो हमारी बात नहीं टालेगी ,श्रीधर कैसा है वो हम से ज्यादा वो जानती है, और जो कुछ भी श्रीधर कर रहे है उस फिल्ड में जानकी की कमांड ज्यादा है।  हमने अगर उन्हें बताया तो हमारा काम आसान हो जायेगा। " ठीक है माँ ,तुम्हे जो ठीक लगे वही करेंगे । "

   दोनों वापस घर गए , समिधाने एक पल भी नहीं गवाया ,उसने जानकी को आवाज दी और पास में बिठा लिया और श्रेयस को भी बिठा लिया।  "श्रेयस ,बेटा मुझे जो बताया  वो सब आंटी को बताओ।" श्रेयस ने धीरे धीरे सब कुछ बता दिया ,जो कुछ उनके साथ हुआ था। जानकी एकदम शांत बैठी थी ,उसके चेहरे पे एक शिकन तक नहीं थी ,मतलब साफ़ था , या तो उसे इस बात की जानकारी थी या उसे यकीं था की श्रीधर कुछ भी कर सकता है !

       समिधा ने जानकी से पूछा " अब क्या करे ? " "दीदी ,जो हमने तय किया था ,वही करेंगे !तभी मै सोच रही थी की श्रीधर इतने शांत कैसे बैठ सकते है ? उनको जो सजा देनी है वो मै ही दूंगी ,आप उस झमेले में मत पडीए और आप उसे कण्ट्रोल भी नहीं कर सकते।  

     "मुझे लगता है हमे थोड़ी जल्दी करनी चाहिए,रात में हम जहा गए थे वहा अभी चलते है ! " समिधाने कहा। "नहीं ,अभी जाकर कुछ हासिल नहीं होगा ,वैसे भी अभी सुबह हो गयी है।  श्रीधर अभी कुछ करेंगे ऐसा नहीं लगता।" " श्रेयस, श्रुति ,मेरे साथ आओ। " जानकी ने कहा।  दोनों जानकी के पीछे  गए।  जानकी ने भगवान के पास रखा एक धागा उठाया। और आधा आधा श्रुति और श्रेयस के हाथो में बांध दिया।  श्रेयस देखता ही रह गया।  

   " आंटी ,आप ?.... " "श्रेयस ,आगे कुछ मत कहना ! वरना  इसका कुछ फायदा नहीं होगा।  तुम्हारे मन में क्या चल रहा है वो मै जानती हूं।  कुछ बाते विश्वास से भी ऊपर होती है ,उनका स्वीकार करना ही पड़ता है।  और अगर श्रीधर जैसा पति हो तो ,सवाल ही पैदा नहीं होता। मै तुमको यही धागा बांधने वाली थी ,लेकिन श्रीधर शायद समझ गया होगा , वो मुझसे भी तेज निकला।  उसने तुमको घर तक भी नहीं पोहोच ने दिया।  इस बात से समझ लो।  ये तुम्हारा रक्षा कवच है ,इसपर अविश्वास मत दिखाना।  वरना तुम्हारी मौत कोई नहीं रोक सकता ! मै भी नहीं !" जानकी जैसे खोई हुई थी। 

    लेकिन उसकी आवाज में धार थी , समिधा के पसीने छूट गए ," भाभी आप ये क्या कह रही हो ?" " जो सच है ,वही बता रही हूँ।  आप लोगोने अभी श्रीधर को पहचाना नहीं ,लेकिन मै  जानती हूँ की वो कैसा है ! और श्रेयस ने उसकी अनजाने में मदद ही की है !" श्रेयस समझ नहीं पाया की मैंने ऐसा क्या कर दिया । "श्रेयस ,तुमने हनीमून पर जाकर बहुत बड़ी भूल की है ,वरना तुम्हारे पापा और भैया जिन्दा होते , और शायद मेरी नीलिमा भी !"

  श्रेयस से रहा नहीं गया।  "लेकिन आंटी ,मैंने ऐसा क्या दुनिया से विपरीत कर दिया ? जो सब करते है ,वही हमने भी किया ! फिर हमे ये सब क्यों भुगतना पड रहा है ? "श्रेयस तुम गलती कर रहे हो , मै  तुम्हे जिम्मेदार नहीं मान रही हूँ ,लेकिन जब दुनिया से अलग लोग अपने सामने हो तो जो होता है न वो भी अलग ही होता है। तुमने जो किया ,श्रीधर ने उसका फायदा उठाया।  वो मन की बात नहीं जानता ! लेकिन उसका मानसिकता का अभ्यास बहोत ज्यादा  है। सामने वाला कौनसी परिस्थिति में क्या करेगा ,ये उसे सही सही पता होता है।  तुम्हे फोन किसने किया था कुछ याद है क्या ?"  

   श्रेयस को जैसे झटका सा लगा ,उसे फोन करने वाला श्रीधर ही था।  उन्होंने जिस तरीके से कहा था वो बिलकुल स्वाभाविक था।  और श्रेयस को एक बात एकदम से याद आ गयी ,जो वो पूरी तरह से भूल गया था।  उसे याद आया तो उसके होश उड़ गए। चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी।  "श्रेयस क्या हुआ ?" " श्रुति ,हमे ट्रैप किया गया है। " "मतलब ?" "श्रुति, हमे जब फोन आया था तो श्रीधर अंकल ने ही मुझे वो SHORT CUT  का रास्ता  बताया था ,जिससे हमे घर पोहोच ने में ज्याद देर न लगे ,मुझे वो बात हजम नहीं हुई ,लेकिन मुझे लगा की अंकल को हमारी फ़िक्र है ,इसलिए बोल  रहे है।  लेकिन उन्होंने हमें ट्रैप किया !"

     "श्रेयस तुम क्या बोल रहे हो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है ! " "श्रुति , तब कार मै ही चला रहा था,और अचानक मुझे झटका लगा था ,एक बार नहीं दो बार !" "क्या ?" " हां ! मुझे उस वक्त कुछ समझ नहीं आया ,की कार तो ठीक चल रही है ,फिर ऐसा क्यों हो रहा है ? तब ऐसा लगा की पापा और भैया की खबर सुनके ऐसा हो रहा होगा।  लेकिन नहीं ! अब समझ में आ रहा है की वो झटके किस बात के थे ! "

  "श्रेयस तुम्हारे शरीर पर दो अमानवी शक्तियों ने कब्ज़ा किया है , जो श्रीधर के अधीन है !" जानकी ने स्पष्ट रूप से कहा।  "क्या ?" श्रुति जोर से चिल्लाई। " हां श्रुति ,लेकिन वो शक्तियां अब श्रीधर के अधीन नहीं है ,उन पर काबू करना उसके बस की बात नहीं रही ! " "लेकिन आंटी ,अगर वैसा होता तो आपने श्रेयस को जो रक्षा कवच बांधा है वो कैसे संभव हुआ ?" "नहीं श्रुति , उनका मेरे आगे नहीं चलेगा !" 

   " क्यों ?" "वो अभी जानना जरुरी नहीं है ,सबसे पहले उन शक्तियों की ताकद कम करनी पड़ेगी ! ""लेकिन कैसे करेंगे ?" श्रेयस ने पूछा।  "श्रेयस तुम अभी सोने वाले हो क्या ?" "नहीं ,अभी नींद नहीं आएगी।  रिंकी की फ़िक्र हो रही है ,उसमे गाड़ी पूरी काम से गयी है। " "ठीक है ,हमारी कार है उसे ले जाओ ,भाभी जरा आप इसके साथ में जाएंगी ?  मै कुछ सामान लिख के देती हूँ वो लाना है ! तब तक मै  और श्रुति बाकि तयारी करते है !" जानकी ने कहा।  

   ना बोलने का सवाल ही नहीं था , लेकिन  इतनी सुबह सामान कहाँ मिलेगा ? जानकी ने उन्हें हर जगह बता दी जहाँ  सामान मिलता ,सुनकर सब हैरान हो गए।  श्रेयस ने कार निकाली।  श्रीधर नहीं चलाते थे , नीलिमा थी तो वो चलाती थी,और कभी कभी जानकी चलाती थी।  

   श्रेयस ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।  कार बाहर निकाली ,तो समिधा आकर आगे बैठने लगी।  माँ ,आराम से पीछे बैठो ! " तो समिधा पीछे बैठ गई।  पीछे की सीट पर कुछ था ,समिधा को शंका उत्पन्न हुई ,लेकिन तब तक कार बहोत आगे निकल आई थी।  "श्रेयस ,दो मिनिट रुकना ! " " माँ ,क्या हुआ ?" " ये देख इसमें क्या है ?" श्रेयस ने कार साइड में रोकी।  पीछे आकर देखा। दोनों दंग रह गए। 

   जानकी ने जो सामान लाने को कहा था ,वैसा ही सामान उस थैली में था। "श्रेयस ,अगर सामान था , तो जानकी ने हमें बाहर क्यों भेजा ? श्रेयस ! जल्दी से वापस चलो ! श्रुति की जान को खतरा है !" समिधा जोर से चिल्लाई । श्रेयस को भी वो बात समझ में आ गई थी लेकिन ...

   'हमने जानकी आंटी पर कैसे भरोसा किया ? सामान अगर था तो वापस लेने  के लिए क्यों भेजा ?' मतलब साफ था ! उन्होंने  श्रुति को तो कुछ नहीं किया होगा ? दोनों घर पोहोचे ! लेकिन तब तक देर हो चुकी थी , श्रुति सामने खून में लथ पथ पड़ी थी , निर्वस्त्र अवस्था मे ! उसकी बलि चढ़ाई गई थी ! और जानकी ! उनकी तरफ देख कर जोर जोर से हस  रही थी ,जैसे उसकी चाल कामयाब हो गई हो .........

                                          TO BE CONTINUED ...... 

    

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