झूठन - 2 हिंदी भयकथा | JUTHAN - 2 HINDI HORROR STORY | hindi bhaykatha

                 झूठन - 2 - हिंदी भयकथा - HINDI HORROR STORY 

HINDI DARAWANI KAHANI
 हिंदी भयकथा 

   PART :  2 
  लेखक :योगेश वसंत बोरसे

 सुबह हो गई ,तो श्रेयस दरवाजा ठोकने लगा।  "श्रुति sss ,माँ sss ,भाभी sss कोई तो दरवाजा खोलो।  उसकी आवाज से तीनो घबराकर उठ बैठी।  रात को बाते करते करते समिधा और श्रुति समिधा के बैडरूम में सो गयी थी ,और नीलिमा रिंकी के पास सोई थी।तीनो ने एक दूसरे की  ओर देखा।  नीलिमा भागते हुए गई और दरवाजा खोल दिया।  "क्या है ये भाभी ?कब से आवाज दे रहा हूँ ! दरवाजा किसने बंद किया ?और श्रुति कहा है ? "

"अरे ,हां ,हां ! थोड़ा सब्र करो।  कितने सवाल पूछोगे ? और श्रुति कही भागी नहीं है ,माँ जी  के रूम में है !"वहा  क्या कर रही है ?" "क्या कर रही है मतलब ?तुमने उसे रात में जरा ज्यादा ही तकलीफ दी ! बेचारी थक गयी !" माहोल में जो टेंशन थी वो कम करने के लिए नीलिमा हसते हुए बोली। 

 "क्या भाभी सुबह सुबह टांग खींच रही हो !मैंने उसे कुछ नहीं किया। " तभी समिधा और श्रुति बाहर आ गयी।  श्रुति की हालत देखकर श्रेयस हैरान हो गया।  "ये क्या हो गया ? एक ही रात में कैसी दिखने लगी हो ? अगर कुछ तकलीफ थी तो मुझे बताती ,मम्मी को तकलीफ देने की क्या जरुरत थी ?" 

      समिधा बिच में ही बोल पड़ी "उसने मुझे कोई तकलीफ नहीं दी है , वो खुद तकलीफ में है ! श्रेयस मुझे तुमसे बात करनी है ,फ्रेश हो के मेरे कमरे में आओ ,श्रुति तुम भी फ्रेश हो कर आ जाओ ! "अभी ?" "हाँ !" "मम्मी बात क्या है ? क्या हुआ है  ?मैंने क्या किया है ? तुम तीनो मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो ? " "तुम आओ हम  बात करते है न ?" श्रेयस समझ गया ,कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर हुई है।  तकलीफ तो उसे भी हो रही थी ,लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था ,ऐसा क्यों लग रहा है ? इतनी थकावट क्यों लग रही है ? 

    कुछ ही देर में दोनों समिधा के कमरे में पोहोच गए।  रिंकी उठ गयी थी ,तो उसे लेकर नीलिमा बाहर चली गयी। "श्रेयस ,श्रुति बैठो !" दोनों बैठ गए।  "हां श्रुति बोलो इसे ! क्या हुआ है !"श्रुति चुपचाप बैठी रही।उसे समझ नहीं आ रहा था कैसे बताए ?"श्रुति ,बेटा मै  समझ सकती हूँ की तुम्हे क्या लग रहा है।  लेकिन बताना तो पड़ेगा !नहीं तो प्रॉब्लम सॉल्व कैसे होगी ?" "मम्मी इतना क्या हो गया है ?" श्रेयस चिढ़ते हुए बोला। उससे श्रुति की हालत देखि नहीं जा रही थी। 

    "श्रुति बोलना !" उसका मुरझाया चेहरा देखकर श्रुतिको उसका रात का चेहरा याद आया। मै  इसी चेहरे को देखकर फस गई थी।  उसके मन में घृणा उत्पन्न हुई।  उसके चेहरे पर आने वाले बदलाव समिधा के ध्यान में आ गए।  वो भी एक औरत थी।  उसने श्रुतिको प्यार से सहलाया ,"बोलो बेटा ! उसके सिवा कोई चारा नहीं है।  " "श्रुति बोलो ना ,मैंने क्या किया ? "श्रेयस रोने को आ गया।        

     श्रुतिने बोलना शुरू किया , उसकी बाते सुनकर श्रेयस हैरान हो गया ! 'मैंने ऐसा किया ?लेकिन मुझे तो कुछ याद नहीं आ रहा।  लेकिन श्रुति झूठ क्यों बोलेगी ? उसकी हालत देखकर पता चल रहा है की उसने जो  कुछ कहा वो एक एक बात  सच है।' श्रेयस को ये सब बर्दाश्त नहीं हुआ ,वो घर से बाहर चला गया।  समिधाने उसे आवाज दी लेकिन वो नहीं रुका।  ऐसेही दिन निकल  गया। श्रेयस घर  नहीं आया। वैसे तीनो  को फ़िक्र होने लगी।ये गया तो कहा गया ?फोन try किया वो भी स्विच ऑफ़ था।     

  देर रात को श्रेयस घर लौटा।  उसे देखकर तीनो की जान में जान आ गयी।  लेकिन वो बिना कुछ कहे बेड रूम में चला गया।  खाना भी उसने बैडरूम में ही खाया।  श्रुति को समझ नहीं आ रहा था की सोए तो सोए कहाँ ?पति के होते हुए दूसरे कमरे में कैसे सोए ?और यहाँ सोइ तो रात को क्या होगा कोई नहीं बता सकता था।  

    आखिर उसने डिसाइड किया ,श्रेयस के साथ रहने का।  जो होगा उसका सामना करना है ,जो कुछ हुआ उसमे श्रेयस की कोई गलती नहीं है।  तकलीफ उसे भी हुई है ,उसे देखकर मालूम पड रहा  है ,बस उसने बताया नहीं। इसलिए वो आज कुछ कर सकता है लगता तो नहीं है।  

    खाना खाकर सब सो गए।  नीलिमा और रिंकी उनके  कमरे में सोए थे।  रात बहोत हो चुकी थी ,अचानक नीलिमा की नींद टूटी। कमरे में कोई है ,उसे देख रहा है ,ऐसा उसे लगने लगा। उसने डर के आवाज लगाई "कौन है ?"जवाब नहीं मिला ,लेकिन कुछ है जो नजदीक आ रहा है उसे छू रहा है ये नीलिमा के ध्यान में आ गया। "कौन है ?" "शुक sss ,आवाज मत करो। ""क्या ?"शुक sss उसे मत जगाओ !आओ इधर आओ !"नीलिमा चिल्लाने वाली थी ,लेकिन उसका गला दबाया गया ,और कॉट पर पटका गया। 

    नीलिमा इतनी  डर गई के उसके मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी।  कोई नजर नहीं आ रहा था ,लेंकिन  जो हो रहा था वो काफी भयानक था।  आज नीलिमा शिकार हुई थी। श्रुति ने कल क्या सहा होगा ये नीलिमा आज महसूस कर रही थी।  लेकिन वो कमजोर निकली। वो ये सब झेल नहीं पायी और उसने दम तोड़ दिया।

     रिंकी के चिल्लाने से इनकी सुबह हुई और घर में जैसे भूचाल आ गया।  समिधा दौड़ती हुई नीलिमा के कमरेमे पोहोची।  सुबह हुई थी लेकिन रात नीलिमा को ख़तम करके ही ख़त्म हुई थी।  वह बिना कपडोंके बिस्तर पर पड़ी थी ,और रिंकी दूर खड़ी  रहकर उसे टुकुर टुकुर देख रही थी।  अपनी माँ का ये रूप उस नादान  बच्चीके लिए नया था।  समिधाने झट से चादर से नीलिमा की बॉडी को ढक दिया। तब तक श्रेयस और श्रुति भी वहा आ गए।  श्रुति की रात   ख़ामोशी से गुजरी थी। लेकिन नीलिमा के साथ ऐसा होगा ये किसीने सपने में भी नहीं सोचा था। 

   समिधाने रिंकी को अपने पास खींच लिया ,लेकिन वो इतनीसी जान बेहद डर गई थी।    मौत इतनी भयानक थी के श्रेयस का दिमाग काम नहीं कर रहा था।  लेकिन पुलिस को जानकारी देना जरुरी था। इसमें खुद ही फस सकते है ये जानते हुए भी इन्फॉर्म करना जरुरी था।  क्योकि पुलिस बाकि बातो पर विश्वास नहीं करेगी ये वो जानता था।  और घर में वो अकेला मर्द था।  इतना एक पॉइंट पुलिस के लिए काफी था।        

    कुछ ही देर में पुलिस वहा पोहोच गयी।  सब फॉर्मलिटीज पूरी करने के बाद इन तीनो के जवाब लिए गए।  रिंकी को भी प्यार से पूछा गया।  लेकिन वो सहमी हुई थी ,कुछ भी नहीं बोल पायी ,बस समिधा से चिपकी रही।  समिधा को समझ नहीं आ रहा था की अपने घर को किसकी नजर लग गयी ? अच्छ खासा घर देखते देखते उजड़ गया। देखते देखते तीन मौत हो गयी थी।       जब पति और लड़का गुजर गया तो सबने श्रुति को जिम्मेदार ठहराया !लेकिन इसमें उस बेचारी का कोई दोष नहीं। ये समिधा जानती थी।  और कल ही श्रुति मौत के मुँह से बच निकली थी ,शायद उसकी जिंदगी बाकि थी लेकिन नीलिमा की जीवन की डोर कमजोर निकली ! अपने पति के पीछे वो भी चली गयी ,चाहे वजह कुछ भी हो।   

     'अब रिंकी का ख्याल कौन रखेगा ?माँ - बाप नहीं रहे। कल मुझे कुछ हो गया तो ?इसे कौन संभालेगा ?' उसने उम्मीदसे श्रुति के तरफ देखा।  श्रुति को क्या समझ में आया पता नहीं लेकिन उसने रिंकी को अपनी गोद में उठा लिया।लेकिन रिंकी के मासूम दिल को जैसे सदमा लगता था। वो कुछ भी रिएक्ट नहीं कर रही  थी।  

     लेकिन एक बात हैरान करने वाली थी।  पुलिस ने श्रेयस को बिलकुल तकलीफ नहीं दी ,शायद उनके भी ध्यान में आया था की ये कुछ अलग ही मामला है , 'इतनी  खौफनाक  मौत कोई नजदीकी रिस्तेदार नहीं दे सकता ,वो भी घर का सदस्य ?एक देवर ? नहीं !'डॉक्टर्स भी थे ,और पुलिस भी ! तो उन्होंने ये डिसाइड किया की केवल फोर्मलिटी के लिए श्रेयस का मेडिकल चेकअप करते है !उसमे कुछ पॉजिटिव मिला तो श्रेयस के खिलाफ एक्शन लेंगे ,वरना बेवजह उसे हैरान करने में कोई मतलब नहीं।

       उसकी एक वजह ये भी थी के श्रेयस ,श्रुति की अभी अभी शादी हुई थी ,और श्रुति बेहद खूबसूरत थी ,भले ही वो अभी मुरझाई सी थी लेकिन फिर भी उसकी खूबसूरती उसे देखकर ही पता चलती थी ,ऐसे में उसे छोड़कर कोई भाभी के साथ ऐसा क्यों करेगा ? कुछ देर में पुलिस निकल गयी ,साथ में नीलिमा की डेडबॉडी पोस्टमार्टम के लिए ले गयी। 

    नीलिमा , जीते जी दिल ने आत्मा ने शरीर ने तकलीफ झेली , अत्याचार झेले !   दिल के टुकड़े टुकड़े हो गए !  और अभी मरने के बाद उसी शरीर  की दोबारा निर्दय तरीके से चीरफाड़ होगी !' क्या स्त्री शरीर का यही गुनाह है की वो एक स्त्री है ?' समिधा कुछ निर्णय लेकर उठकर खड़ी  हो गयी ,तो श्रुति को जैसे झटका सा लगा ! ' अभी इनको क्या हुआ ? ' "मम्मीजी खुद को सम्भालिये। " " श्रुति ये सब रोकना जरुरी है ! " "मम्मीजी मै कुछ समझी नहीं ?"

      "श्रुति तीन मौत देख चुकी हु मै ! चौथी नहीं देख सकती न ही होने दूंगी ! ये हैवानी करतूत है ,अमानवी कृत्य है ! इसका इलाज जल्दी करना पड़ेगा नहीं तो हम सब मरेंगे १" "और ये आफत तुम दोनों की वजह से घर में आयी है ,तो इसका पता लगाना पड़ेगा की ये आखिर है क्या ?" "लेकिन ये कैसे पता चलेगा ?"श्रेयस से रहा नहीं गया। "और मम्मी इसका जिम्मेदार अगर मै हूँ तो इसका खत्म मै ही करूँगा ! चाहे जान क्यों न चली जाये !"

 "श्रेयस, बेवकुफो की तरह बाते मत करो ! तुम्हारी अभी अभी शादी हुई है ,नई  दुल्हन घर में आयी है ! कुछ जिम्मेदारी का एहसास है की  नही ! तुम्हे कुछ हो गया तो वो बेचारी क्या करेगी ? मै  इसीलिए तुमसे कह रही थी ,हनीमून के लिए मत जाओ ,अभी तुम्हारी हल्दी भी नहीं छूटी है !लेकिन तुम ने एक न सुनी ! " 

" मम्मी , क्या  तुम भी ? कहा की बात कहा जोड़ रही हो ?" "तो फिर ये जो कुछ भी हुआ इसकी एक वजह तो बता ! जो श्रुति ने सहा ,जो नीलिमा ने सहा ! इसका  क्या जवाब है तेरे पास ? या ये सब तूने ही किया ?" "मम्मी ! तुम्हे पता भी है तुम क्या बोल रही हो ? मै  ऐसा करूँगा ? " "अरे वही तो मै तुम्हे समझा रही हूँ ,लेकिन तुम हो के मानने  को तैयार नहीं !" "इसका मतलब तो एक ही निकलता है चाहे वजह ये हो या वो हो जिम्मेदार मै ही हूँ !"

    समिधाने जवाब नहीं दिया ,ये वक़्त नहीं था आपस में टकराने का । लेकिन नीलिमा के माँ -बाप को क्या बताएंगे ? उन्हें फोन गया था ,वो आने वाले थे। और आ ही गए !  नीलिमा की माँ जानकी आते ही समिधा के  गले में पड़के रोने लगी।  नीलिमा के पिता श्रीधर चुपचाप खड़े थे एक कोने में ! एक ही लड़की थी।  पहले दामाद गुजर गया ,अब लड़की ! और रिंकी ? उसकी हालत उनसे देखि नहीं जा रही थी ।लेकिन उन्हें एक बात समझ में आ गयी थी ,की रिंकी ने ऐसा कुछ देखा है जो शायद उसे नहीं देखना चाहीये था।  उसे अब ट्रीटमेंट की जरुरत थी। अभी वक़्त था सँभालने का !वो भी जल्द से जल्द ! वरना ये भी हाथ से जाएगी !

    श्रीधर  ने श्रेयस से पूछ ताछ की ! उसे जितना मालूम था उसने बता दिया।  रिंकी को पता होगा ,लेकिन वो बोल ही नहीं पा रही थी।  उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टरने उसे एडमिट कर लिया।  वो श्रीधर के पहचान के थे ,इसलिए इलाज घर जैसा ही होने वाला था।  फिक्र करने की जरुरत नहीं थी।  सिवाय इसके घर का माहौल पूरी तरह ख़राब हो चूका था। वो जब तक ठीक नहीं हो जाता उसे घर लाना सही नहीं होता।  शाम तक नीलिमा की डेडबॉडी घर लाई गयी।  अंतिम संस्कार की विधि पूरी की गयी।              

      तबतक जानकी को जो कुछ भी हुआ था समिधाने बता दिया था। वो समझदार थी ,उसने एक ही बात बताई। जब तक इसका हल नहीं निकलता ,यहाँ रहना खतरेसे खाली नहीं है। यहाँ कोई भी न रहे।  सब हमारे घर चलिए। कुछ दिन हमारे घर रहिये।  श्रेयस सोच रहा था , जो कुछ भी हुआ वो अपनी वजह से हुआ है ,उसकी सजा माँ क्यों भुगते ? माँ को आराम की जरुरत है।  और रिंकी भी अस्पताल में है।  तो हम दोनों मिलके इस समस्या को ख़त्म कर ही देंगे ! उसने यही बात श्रुति को बताई ,उसे ठीक लगा ।थोड़ा डर भी लगा। लेकिन पहला आघात उसने सहन कर लिया था ,और अब वो तैयार थी प्रतिकार करने के लिए सज्ज थी।  

    दोनों ने समिधा को बहोत समझाया और जानकी के साथ उनके घर भेज दिया।  रात हो गयी थी ,अब घर में वो दोनों ही थे ,श्रेयस और श्रुति ! मन में कही तो ख़ुशी की संवेदना थी जो उन्हें अच्छी लग रही थी ,जोकि बुरी थी। उनके सिवा वहा पर और कुछ था ,उसे भी ख़ुशी हो रही थी शिकार खुद शिकार होने के लिए तैयार था। ..... 

                                        TO BE CONTINUED .....

झूठन - 3 हिंदी भयकथा

झूठन - 4 हिंदी भयकथा

झूठन -5 हिंदी भयकथा 

झूठन -6 हिंदी भयकथा

   

VISIT OUR YOU TUBE CHANNEL ALSO

                                                                 लेखक :योगेश वसंत बोरसे

⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎⇎


Read Here - 










Previous
Next Post »