हार्मोनिअम - एक हिंदी भयकथा - HINDI HORROR STORY
HINDI HORROR STORY |
लेखक : योगेश वसंत बोरसे :-
{ यह एक काल्पनिक कथा है ,जो आपको डरा सकती है ! विचलित कर सकती है ! तो अपना ध्यान रखिये ! Take Care Of Your Self }
रात का वक्त था और ठंडी का माहौल ! ऐसे प्यार भरे माहौल में हार्मोनिअम के स्वर कानो में गूँज रहे थे। उन सुरो में न जाने ऐसी क्या कशिश थी, की जाने - अनजाने में कदम उस ओर बढ़ जाते। समीर का भी वही हाल था। और उसके चेहरेपर गहरी मुस्कान थी, क्यों की उन सुरो को वो जानता था, पहचानता था। वो उस आवाज की ओर बढ़ा।
एक गली के आखरी कोने में एक पुराना मकान था। वहाँ समीर हार्मोनिअम सिखने आता था। टीचर अधेड़ उम्र की थी। और समीर उनका सबसे प्यारा शिष्य था। कुछ काम की वजह से समीर कुछ दिनों के लिए बाहर गांव गया था। और लौटते-लौटते आधी रात गुजर चुकी थी। वो अपने टीचर से मिलने के लिए बेताब था, बेकरार था। हार्मोनिअम की आवाज से वो दीवाना सा हो गया।
तेज कदमो से वो उस घर की ओर बढ़ा। हार्मोनिअम के स्वर दिलो-दिमाग पर हावी होने लगे। उसने दरवाजे की तरफ देखा, तो हैरान हो गया। दरवाजे पर ताला लटक रहा था ! और अंदर से हार्मोनिअम की आवाज आ रही थी।
वो खिड़की की ओर बढ़ा। अंदर झाककर देखा तो एक धुँदली छाया हार्मोनिअम के पास नजर आई, जिसकी नजर समीर पर टिकी हुई थी। तभी काँधे पर हाथ पड़ा और हार्मोनिअम की आवाज बंद हो गयी।
समीरने घबराकर पीछे देखा। " क्यों भाई, इतनी रात यहां क्या कर रहे हो ? वो भी बंद कमरे में क्यों झाक रहे हो ? " " देखिए भाईसाहब, मै यहाँ गाना सिखने आता हूँ, हार्मोनिअम की आवाज सुनी तो रहा नहीं गया, कदम अपने-आप इस ओर बढ़ गए ! और भाईसाहब, आप जो समझ रहे हो, वैसा कुछ नहीं है। " " मैडम तो दो दिन पहले ही गुजर गयी, तो अब हार्मोनिअम कौन बजाएगा ? लगता है आपको कोई वहम हुआ है, और देखो, दरवाजे पर ताला भी लगा है ! "
" हां ! वही देखकर तो मै हैरान हो गया की बंद कमरे में से आवाज कैसे आ रही है ? " समीर मायूस होकर बोला। तो सामनेवाले ने उसे थपथपाया। " भाईसाहब मै समझ सकता हूँ आपकी तकलीफ, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है ? हौसला रखिए और घर जाइये, ऐसे आधी रात में यहाँ - वहाँ घूमना ठीक नहीं। "
समीर का दिल टूट गया था, वो मायूस होकर अपने घर की ओर बढ़ा। घरवाले इंतजार कर रहे थे। माँ ने पूछा भी, " बेटा बहुत देर कर दी ! तुम फ्रेश हो जाओ मै खाना लगाती हूँ ! " खाना खाकर समीर सो गया। थकान की वजह से नींद आ गयी और कुछ देर बाद हार्मोनिअम के स्वर कानो में गूँजने लगे। पहले तो उसे लगा की वो सपना देख रहा है, लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ, की सामने कोई बैठा है और हार्मोनिअम बजा रहा है !
उसने जबरन अपनी आँखे खोली और हैरान हो गया ! सामने जमीनपर टीचर बैठी थी और हार्मोनिअम बजा रही थी ! उनका पूरा ध्यान उसी के ओर था। चेहरा तो साफ़ नहीं दिख रहा था लेकिन नजरे शरीरसे आरपार जा रही थी।
तभी कानो में आवाज गूँजी, " बेटा, रात के दो बज रहे है, ये कोई वक्त है हार्मोनिअम बजाने का ? चलो, सो जाओ ! " समीर के रोंगटे खड़े हो गए थे। उसने माँ को आवाज दी, " माँ ssss " उसकी आवाज में दर्द था, जो माँ ने भी महसूस किया। " बेटा, क्या हुआ ? " " माँ, तुम्हे पता है, वो टीचर मर गयी जो मुझे हार्मोनिअम सिखाती थी ? " " हां बेटा, दो दिन पहले उनका स्वर्गवास हो गया, भगवान उनकी आत्मा को शांति दे ! "
" माँ शायद उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली है वो भटक रही है और अभी हार्मोनिअम वही बजा रही थी। " माँ ने समीर को प्यार से सहलाया, " बेटा, ऐसी बाते नहीं करते, तुम थक गए हो, तुम्हे आराम की जरुरत है, सो जाओ ! " और माँ बत्ती बंद करके उसके पास आकर बैठी उसे सहलाने लगी तो समीर को कब नींद लग गयी पता ही नहीं चला।
दूसरे दिन समीर उठकर अपने काम में लग गया। पूरा दिन कब निकल गया पता ही नहीं चला। घडी के तरफ देखा तो रात के ग्यारह बज रहे थे। समीर काम ख़तम करके घर की ओर बढ़ा और उसी गली से गुजरते हुए कदम अपने आप रुक गए। टीचर के घर के सामने !
जैसे वह घर उसे अपनी और खींच रहा था। समीर उस ओर बढ़ा। हैरानी की बात थी की दरवाजे पर ताला नहीं था। उसने दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया और टटोलते हुए लाइट का बटन दबाया। लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ, शायद बिजली नहीं थी।
" बेटा अभी वो कभी नहीं जलेगी, उसकी जरुरत जो नहीं ! " रहस्यमयी आवाज के साथ दरवाजा अपने - आप बंद हो गया। समीर का दिल जोरो से धड़कने लगा। धड़कने इतनी बढ़ गयी की एक पल को लगा जैसे जान हलक में आ गयी हो। सामने की चेयर पर कोई बैठा था और नजर उसपर टिकी थी। तभी समीर को बर्फ जैसा ठंडा ठंडा स्पर्श हुआ। कोई उसके आसपास था।
अचानक जैसे उस घर में ठंड बढ़ने लगी और समीर के हाथ-पाँव जमने लगे ! उसे समझ नहीं आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है ! बस एक पल के लिए उसने जोर से आवाज दी,"टीचरssss " और सामने की कुर्सी जोर जोरसे हिलने लगी। " बेटा, तुम मेरे सबसे अच्छे शिष्य थे। तुम्हारे बिना मै अधूरी हूँ ! शिष्य के बिना गुरु कभी पूरा नहीं होता, तो तुम्हे मेरे साथ ही आना होगा। साथ ही आना होगा !........ "
आवाज इतनी सर्द थी की समीर की धड़कने धीरे धीरे कम होने लगी और कुछ ही समय बाद वो धड़ाम से निचे गिर गया........ और हार्मोनिअम के स्वर वातावरण में गूँजने लगे !
फिर एकबार और शायद आखरी बार..................
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THE END
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